भोपाल। ग्वालियर स्थित एक किराये के कमरे में फर्जी तहसील लगती थी और यहीं से फर्जी पावर अटॉर्नी बांटी जाती थी हालांकि आरोपियों ने फर्जी तहसील को ठाठीपुर का नाम दे दिया था, जो ग्वालियर के साथ लगते एक गांव का नाम है। इसका खुलासा अंबाला हरियाणा विजिलेंस ने रिमांड पेपर के दौरान किया है।
अंबाला शहर के सरकुलर रोड निवासी अशोक कुमार की शिकायत पर फर्जी तहसील का मामला दर्ज हुआ था। शिकायत के मुताबिक उसने हीरा नगर में प्लाट खरीदा था, 14 जून 2005 में उसकी रजिस्ट्री करवाई थी लेकिन बाद में पता चला कि ठाठीपुर नाम से तहसील ही नहीं है। 13 अक्टूबर 2008 को विजिलेंस ने फर्जी तहसील बनाकर नकली पॉवर ऑफ अटॉर्नी तैयार करने वाले आरोपियों के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया गया था।
तभी से विजिलेंस मामले के सुराग लगाने में जुटी हुई थी। इसके बाद स्टेट विजिलेंस ब्यूरो ने जंडली निवासी अरविंद्र सिंह, पालिका विहार निवासी सुरेश कुमार और मनाली हाऊस निवासी गौतम शर्मा को गिरफ्तार कर रिमांड पर लिया था। विजिलेंस ने आरोपियों रिमांड में काफी कुछ जानकारिया जुटा ली हैं। विजिलेंस द्वारा तीनों आरोपियों को अदालत में पेश किए जाने के बाद अदालत ने उन्हें न्यायिक हिरासत में भेज दिया था।
विजिलेंस के मुताबिक फर्जी तहसील ग्वालियर स्थित एक किराये के कमरे में चलती थी। ठाठीपुर ग्वालियर के पास लगता पुराना गांव है जो अब नगरनिगम सीमा में आता है। उसी नाम के आधार पर आरोपियों ने गांव के नाम को ही सब तहसील का नाम दे दिया था। किराए के कमरे से ही फर्जी पावर अटॉर्नी बनाए जाने का खेल चलता था। मामले में विजिलेंस तफ्तीश में लगी हुई है, लेकिन अभी तक मुख्य आरोपी गिरफ्त से बाहर है।
सूत्रों के मुताबिक विजिलेंस मामले में प्रोपर्टी डीलरों को तफ्तीश करने के लिए बुलाने में लगी हुई है। जहां उनसे पूछताछ की जाती है। विजिलेंस के इंस्पेक्टर एवं जांच प्रभारी शमशेर सिंह ने बताया कि वह अभी छुट्टी पर हैं। ड्यूटी पर वापस आने के बाद जांच आगे बढ़ाई जाएगी।