मैहर: जहां गिरा था माता सती के गले का हार

विन्ध्य के पठार पर स्थित मध्य प्रदेश का सतना जिला 7500 वर्ग किमी. के क्षेत्रफल में फैला हुआ है। खूबसूरत वनों और पहाडिय़ों के झुरमुट में बसा यह स्थान अनेक धार्मिक और ऐतिहासिक स्थलों से घिरा है। चित्रकूट, शारदा देवी का मंदिर, आल्हा ऊदल का अखाड़ा, माँ शारदा का मंदिर और मैहर सतना यहां के लोकप्रिय दर्शनीय स्थल हैं।

इनमें से सबसे प्रसिद्ध है मां दुर्गा का शारदीय रूप श्रद्धेय देवी मैहर माता मंदिर जो समस्त भारत में अकेला मंदिर है जो मध्यप्रदेश के सतना जिले में लगभग 600 फुट की ऊंचाई वाली त्रिकुटा पहाड़ी पर मैहर शहर में बसा है, मां के दर्शनों के लिए 1063 सीढिय़ों का मार्ग पार करना पड़ता है। अब रोपवे बनने से यह कठिनाई दूर हो गयी है।

इनकी उत्पत्ति के पीछे पौराणिक कथा प्रचलित है। जो इस प्रकार है
मान्यता के अनुसार जब सती बिन बुलाए अपने पिता के घर गई और वहां पर राजा दक्ष के द्वारा अपने पति का अपमान सह न सकने पर उन्होंने मौन धारण कर उत्तर दिशा की ओर मुँह कर लिया और भगवान शंकर के चरणों में ध्यान लगा कर योग मार्ग के द्वारा वायु तथा अग्नि तत्व को धारण किया तथा अपनी काया को अपने ही तेज से भस्म कर दिया।

भगवान शंकर यह शोक सह नहीं पाए और उनका तीसरा नेत्र खुल गया। जिससे तबाही मच गई। भगवान शंकर ने माता सती के पार्थिव शरीर को कंधे पर उठा लिया और क्रोध में तांडव करने लगे। जब भगवान का क्रोध किसी प्रकार भी शांत न हुआ तो श्री विष्णु ने सती के अंगों को बावन भागों में बांट दिया।

जहां-जहां सती के अंग और आभूषण गिरे, वहां-वहां पर शक्ति पीठों की स्थापना हो गई। मैहर का अर्थ है मां का हार और यहां मां सती का हार गिरा था। तभी से यह पावन स्थान र्तिथ के रूप में जाना जाने लगा। इस पर्वत की चोटी पर मां के मंदिर के साथ ही श्री काल भैरवी, भगवान हनुमान जी, देवी काली, दुर्गा, श्री गौरी शंकर, शेष नाग, फूलमति माता, ब्रह्म देव और जलापा देवी की भी पूजा होती है।

यहां मंदिर में नारियल फोडऩे पर प्रतिबंध लगा दिया गया हैं। यहां बलि देने की प्रथा प्राचीन काल से ही चली आ रही थी। जिस पर 1922 ई. में सतना के राजा ब्रजनाथ जूदेव ने प्रतिबंध लगा दिया। इस समय मंदिर का कार्यभार शारदा समिति की जिम्मेदारी है, जिसके अध्यक्ष सतना के जिलाधिकारी है।

मैहर घूमने का अच्छा समय चैत्र और क्वांर की नवरात्र है। यहां काफी भीड़ होती है। यहां से कटनी जाने के लिए बस मार्ग से जाया जा सकता है। जबलपुर निकटस्थ वायुमार्ग हैं। जिससे यात्री आसानी से पहुंच सकते हैं। मैहर रेलवे स्टेशन कटनी और सतना स्टेशनों के बीच में स्थित है और दोनों प्रमुख रेलमार्गों से जुड़ा हुआ है।
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