राजेश शुक्ला/ अनूपपुर। मध्यप्रदेश की सरकार यह ढिंढोरा पीट रही है कि हम विकास के कई आयामों को छू रहे हैं, पर हकीकत से विकास कोसों दूर है, यह बैगा बाहूल्य डूमर कछार गांव आज भी बिजली, पानी, सड़क के लिये मोहताज है, यहां के रहवासी विकास क्या है, नहीं जानते।
वहीं शासन-प्रशासन प्रदेश को विकासशील प्रदेश मान रहे हैं, परंतु यह कैसा विकास कि प्रदेश के अंतिम छोर के व्यक्ति को विकास की रोशनी नहीं दिखाई दी है तो यह कैसा विकास, जब तक प्रदेश के अंतिम व्यक्ति को मूलभूत सुविधाएं ना मिले तो यह विकास की बात करना बेईमानी होगी।
यह ग्राम पंचायत चारो तरफ से कोयला खदानों से घिरी है। यहां पर कोयला निकालने के लिये बड़ी-बडी मशीने तो जरूर हैं और सभी सुविधाएं उपलब्ध है, परंतु यहां के मूल निवासी बैगा और आदिवासियों के लिये बिजली, पानी, सड़क, स्वास्थ्य जैसी सुविधाओं के लिये तरस रहे हैं, परंतु इनकी चिंता किसी को नहीं है, ना प्रदेश सरकार को और ना ही यहां से कोयला निकालने वाली कंपनियां, यहां पर ५६ बैगा परिवार के साथ ३६ पाव जाति के लोग रहते हैं।
कहने को तो यह गांव बैगा बाहूल्य है, किंतु यहां बैगा विकास का ढिंढोरा पीटने वाली सरकार की भी नजर में यह गांव पूरी तरह ओझल है, ना तो इस गांव को आज तक कोई पक्की सड़क मिली, जिससे बरसात के समय में अगर कोई बीमार पड़ जाये तो उसको यही मरना पडेगा। आज भी इस गांव के लोग पगडंडी के सहारे चलते हंै, और बिजली तो इस गांव के लोगों ने देखी ही नही, बाकीं पानी तो कही नदी, नाले से जुगाड कर काम चला लेते है, कहने को तो इस गांव में हैंड पम्प है मगर वों भी सिर्फ नाम के लिये, चलते है नहीं और उनको देखने वाले कभी यहां तक पहुंचते ही नही नतीजा सिफर है।
इस गांव का ये आलम है की आज तक इस गांव में कोई दसवी तक नही पढ सका है,फिर ये कैसा विकास है,जहां लोग एक तरफ आज की चमक चौंध में गुम है वहीं इस गांव के लोग आज भी बिजली, पानी, सड़क के लिये मोहताज है, शिक्षा, स्वास्थ्य तो इन से कोसों दूर है। इस गांव में कुछ टॉयलेट बनवाये गये थे पर बस खाना पूर्ति कर छोंड दिया गया था जिसका नतीजा है की बस टूटी फूटी चार दिवाले खडी है। सड़क के नाम पर गांव के अंदर पगडंंडी बना दी गई है।
जहां इस गांव के लोगों को बिजली, पानी, सड़क का कई वर्षो से इंतजार है वहीं यहां के ग्रामपंचायत सचिव को समझ नही आ रहा की आखिर क्या करें की इस गांव को विकास की धारा से जोड सके उनका भी मानना है कि अगर इस गांव में बिजली आ जाये तो विकास के रूके हुये बहुत से काम हो जायेंगे उनका मानना है कि आज भी इस गांव को मुख्य सड़क से नहीं जोड़ा जा सका जबकी कई बार रोड़ पास हुई पर सिर्फ कागजों में सिमट कर रह गई।
इनका कहना है
मैने इनके विकास के लिये जिले से लेकर राजधानी तक बात रखी है, परंतु ना जाने क्यों उन तक इन बैगाओं की आवाज नहीं पहुंच पा रही है। प्रशासन और राजनेताओं के बीच क्या हो रहा है यह समझ से परे है। मैं क्या करूं की इनका विकास हो सके।
संजय सिंह
सचिव ग्राम पंचायत
डूमरकछार