किसानों को चूना लगाने की तैयारी: बाजार में बड़े पैमाने पर उतरा नकली खाद्य व बीज

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अनूपपुर। किसान की भूमि से जो उपज होती है उसी से उसका जीवन-यापन चलता है। यदि उसे नकली खाद्य व बीज मिल गया तो साल भर के मेहनत पर पानी फिर जायेगा लेकिन इसकी परवाह किसी को नहीं है आज बाजार के अंदर भारी मात्रों में नकली खाद्य व बीज का भंडारण व्यापारियों द्वारा किया गया है और किसानों को लूटने की पूरी तैयारी चल रही है।

इसके पहले किसान लुटे कि प्रशासन को हरकत में आना चाहिये ताकि नकली खाद्य व बीज जप्त हो सकें अन्थया किसान वेवजह मारा जायेगा। अनूपपुर, कोतमा, राजेन्द्रग्राम, फुनगा जैतहरी, वेंकटनगर, अमरकंटक, बिजुरी जैसे प्रमुख स्थानों पर दुकानदारों ने नकली खाद्य बीज का भंडारण किये हुये है।

जिले में कुछ बीज व्यापारियों द्वारा कृषि विभाग के अधिकारियों के साथ मिली भगत कर बड़े पैमाने पर अंधेरगर्दी मचायें हुये है और विभागीय अमला कुभ्मकर्णी निंद्रा में सोया हुआ है। किसानों का हितैषी बताने वाला कृषि विभाग की सारी हकीयत उस समय सामने आ जाती जब किसानों के हाथ में नकली खाद्य व बीज का पैकिट होता है।

स्थानीय व्यापारियों द्वारा विभिन्न कंपनियों के गुणवत्ताहीन बीज अपनी दुकानों से बेचे जाने और अपने ही गोदामों में घटिया धान बीजों की पैकिंग करने का मामला प्रकाश में आया है। यह एैसा ही कंपनियां है जिनकी कृषि उत्पादक दवायें, खाद, धान, बीज आदि प्रदेश में बेचे जाने की आवश्यक अनुमति शासन से दी हीं नहीं गई है लेकिन उसके बाद भी उनके उत्पाद धड़ल्ले से जिलें में अधिकारियों की मिलीभगत से बेचे जा रहें है।

फर्जी कंपनियों का उतरा माल

जिले के अंदर फर्जी कंपनियों के बीज भारी मात्रा में आने की जानकारी मिली है और व्यापारी इसी बीज को खपाने की रणनीति तैयार कर ली। ब्रांडेड कंपनियों का लेवर लगाकार माल को पैक किया जा रहा और जिले के प्रशासनिक अधिकारी ऑख में पट्टी बांधे बैठे हुये है अभी तक एक भी दुकान पर ना तो निरीक्षण हुआ और न ही कार्यवाही, इससे स्पष्ट होता है कि प्रशासनिक अधिकारियों का संरक्षण दुकानदारों को प्राप्त है। इस धान बीज के पैकेट पर शासन की आवश्यक अनुमति अथवा प्रमाणीकरण की कोई जानकारी दर्शित नहीं है।

सो रहा विभाग

उल्लेखनीय है कि बाजार में घटिया बीज बेचे जाने के मामलों को जिले के कृषि विभाग के अधिकारियों द्वारा कभी उजागर नहीं किया जाता है इन मामलों को या तो घटिया बीज खरीदकर लुट जाने वाला किसान उजागर करता है या फिर मीडिया के सजग प्रहरी। उसके बाद भी जिले के कर्णधार अपनी जिम्मेदारियों का पूरा न करते हुये उससे ऑख चुराने का प्रयास करते रहते है। इधर किसान अमानक स्तर का खाद बीज व दवाईयां खरीदकर अपनी फसल की बर्बादी को खुली ऑखों से देखता रहता है।

बीज उत्पादक समितियों के वास्तविक उत्पादन की भी नहीं होती जांच

उधर संबंधित कंपनी कृषि विभाग को चढ़ौत्री चढ़ाकर पुन: बाजार में अपने अमानक उत्पादनों को बेचना शुरू कर दी है वहीं अनूपपुर जिलें में बीच उत्पादक सहकारी समितियां रिकार्ड में दिखाई गई है  लेकिन इनमें से कितनी समितियां वास्तव में धान बीज का उत्पादन कर रही है, इसका जायजा लेने की कोशिश कृषि विभाग द्वारा नहीं की गई है। बताया जाता है कि इनमें से कुछ समितियां केवल कागजों में धान के बीजों का उत्पादन दिखाकर व्यापारियों व बिचौलियों से धान बीज खरीदकर अपने नाम से महंगे दामों में बेच रही है।

अधिकारियों व व्यावपारियों की चल रही सांठ-गांठ

बैंकों के कर्ज, नकली बीज, घटिया खाद व कीट नाशकों के प्रयोग से बर्बाद होती फसलों के कारण जिलें के किसानों द्वारा लगातार आत्महत्या के मामलें प्रकाश में आते रहते है लेकिन उसके बाद भी प्रशासन द्वारा इस पर रोक नहीं लगाई जा पा रही है। अब लगता है कि जिले के किसानों के साथ भी ऐसे ही कुछ होने जा रहा है जहां जिलें में किसानों को आत्महत्या की ओर विवष करने का षडयंत्र कृषि विभाग के अधिकारियों और बीज उत्पादक कंपनियों, व्यापारियों की सांठ-गांठ से रचा जा रहा है। यदि वास्तव में कृषि विभाग के अधिकारी और प्रशासन किसानों के हित चिंतक है तो उन्हें तत्काल जिलें में बीज उत्पादक समितियों बाजार में व्यापारियों द्वारा बेजी जा रही कीटनाशक धान, बीज और दवाईयों का परीक्षण कराना चाहियें और किसानों को घटिया उत्पाक खरीदेने बचाना चाहियें।

बिना अनुमति के बिक रहा बीज

यह तथ्य भी आवश्यक है कि जिस कंपनी को म.प्र. ने धान बीज बेचने की अनुमति नहीं, उसका नाम प्रिसिंपल सार्टिफिकेट में नहीं जुडऩा चाहियें था लेकिन उसका नाम कैसे जुड़ गया, यह सोचनीय है? वहीं व्यापारियों द्वारा बेचे जा रहें घटिया धान बीज के स्टॉक करने पर उसका नमुना क्यों नहीं लिया जा रहा है? आखिर धान बीज को किस पैकिट में बेचने की अनुमति प्रदान की गई है। उसको स्पष्ठ किया जाना चाहियें। अभी भी समय है यदि समय रहते अधिकारियों द्वारा इस पर कार्यवाही नहीं की गई तो जिले के किसान आत्महत्या के लिये मजबूर हो सकते है।
      
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