मध्यप्रदेश में आईएफएस वॉर: दुश्मनी पति से, हमला पत्नि पर

भोपाल/हरीश दिवेकर@जागरण। आईएफएस अफसरों के बीच चल रहे झगडे़ ने अब नया मोड़ ले लिया है। पीसीसीएफ आरएन सक्सेना की पत्नी श्रीमती संगीता सक्सेना भी इसमें कूद पड़ी हैं। उन्होंने केन्द्रीय महानिदेशक वन को पत्र लिखकर आईएफएस बिरादरी में मची खींचतान का खुलासा किया है।

पत्र में उन्होंने आरोप लगाया है कि पति से दुश्मनी निकालने के खातिर उनकी संस्था व‌र्ल्ड वाईड फंड फॉर नेचर [डब्ल्यूडब्ल्यूएफ] इंडिया को दूसरे आईएफएस अफसर बेवजह निशाना बना रहे हैं।

सक्सेना ने कहा है कि उनकी संस्था ने ग्रीनिंग इंडिया योजना के तहत 2007 में पांच जिलों भोपाल, सागर, रीवा, सतना और जबलपुर की जेलों में पौधा रोपण किया था। यह रोपण अच्छी हालात में होने के बावजूद वन विभाग के अफसरों ने सिर्फ दुश्मनी निकालने के लिए इसे असफल पौध रोपण बताते हुए केन्द्र सरकार को गलत रिपोर्ट बनाकर भेजी है। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि स्थल का निरीक्षण और मूल्यांकन करते समय उन्हें बुलाया तक नहीं गया।

श्रीमती सक्सेना के इस पत्र को गंभीरता से लेते हुए महानिदेशक वन ने वन प्रमुख आरएस नेगी को डब्ल्यूडब्ल्यूएफ इंडिया को एक बार फिर से अपना पक्ष रखने और नए सिरे से मूल्यांकन करने को कहा है। उल्लेखनीय है कि वषर्ष 2007 में केन्द्र सरकार के राष्ट्रीय वनीकरण एवं ईको विकास बोर्ड ने मध्यप्रदेश के पांच जिलों को ग्रीनिंग इंडिया योजना में पांच गैर सरकारी संस्थाओं को लाखों पए में पौधारोपण का काम दिया था।

वन एवं अनुसंधान विस्तार शाखा द्वारा वर्ष 2010 में कराई गई जांच में डब्ल्यूडब्ल्यूएफ-इंडिया, मंथन ग्रामीण एवं समाज सेवा समिति एवं मां कौशल्या क्षेत्रीय विकास सेवा समिति द्वारा किया गया पौध रोपण असफल बताया गया। वहीं शेषष दो अन्य संस्थाएं अपेक्षा शिक्षा एवं समाज कल्याण समिति और विराट चेतना सेवा संघ अस्तित्व में नहीं मिली। इस संबंध में वन मुख्यालय ने विस्तृत रिपोर्ट तैयार कर केन्द्र सरकार को भेज दी थी।

थर्ड पार्टी से कराएं जांच

ईधर वन प्रमुख आरएस नेगी ने केन्द्रीय महानिदेशक वन को पत्र लिखकर कहा है कि डब्ल्यूडब्ल्यूएफ-इंडिया की संयोजक श्रीमती सक्सेना पहले ही विभाग पर पक्षपात का आरोप लगा चुकी हैं, ऐसे में इनके द्वारा जेलों में कराए गए पौध रोपण का मूल्यांकन कर हम बेवजह में पार्टी नहीं बनना चाहते। नेगी ने केन्द्र से आग्रह किया है कि श्रीमती सक्सेना की संस्था की जांच किसी थर्ड पार्टी से कराया जाना उचित होगा।


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