भोपाल। छत्तिसगढ में अध्यापको को समान कार्य के बदले समान वेतन दिये जाने के बाद से मध्यप्रदेश की शिवराज सरकार से आशा लगाए बैठे प्रदेश के लाखो अध्यापको के सब्र का बांध अब टूटने लगा है। शिवराज सरकार की बेरूखी के कारण अध्यापक संगठन अब आन्दोलन की रणनीति पर अमल करने जा रहे है।
सरकार की नींद उड़ाने वाली खबर ये है कि अध्यापको के विविध संगठनों के बिखराव को समेटने वाली अध्यापक कोर कमेटी ने जमीनी तौर पर बेहद बारिकी से इसकी रणनीति तैयार की है। जून से स्कूलो के खोले जाने एवं बच्चो के शाला में प्रवेश दिलाये जाने जैसे महत्वपूर्ण कार्य के समय यदि तालेबन्दी हो जाती है तो प्रदेश भर में यह सरकार की खासी किरकीरी का कारण बन सकता है।
अभी तक यह होता आया है कि अध्यापको को विविध धड़ो में वैचारिक एवं राजनीतिक मतभेद रहे है जिसके कारण हड़तालो का मिलाजुला असर देखने में आता था मगर अध्यापको कोर कमेटी के माध्यम से प्रदेष के अध्यापको ने सभी धड़ो को धता बताकर खुला समर्थन दे दिया है। यह पहली बार होने जा रहा है कि यदि आन्दोलन होता है तो यह आम अध्यापको का आन्दोलन होगा। अध्यापको कौर कमेटी ने प्रदेष भर के अध्यापको को आहवान कर कहा है कि वे 9 जुन को दोपहर 12 बजे नीलम पार्क में एकत्रित हो जहा एक सामन्जस्य बैठक में आगामी आन्दोलन की रणनीति को सार्वजनिक किया जाएगा।
कमेटी की और से कहा गया है कि प्रदेष सरकार यदि समान वेतन देती है तो इस बैठक में सरकार को भविष्यगामी सहयोग के प्रति शपथ ली जाएगी। बहरहाल वर्तमान में यह तो साफ हो गया है कि जुन में यदि अध्यापको की वेतन एवं सम्विलियन के मुददे पर कोई निर्णय नही आता है तो स्कूलो की छुटटीयां दीर्घकालिक हो सकती है। संविदा शिक्षक, अध्यापक एवं गुरूजीयों के साथ अतिथि शिक्षक भी कोर कमेटी का हिस्सा बन चुके है । देखने वाली बात यह होगी कि सरकार के विरुद्ध लामबंद समस्त शिक्षकों के हड़ताल पर चले जाने के बाद स्कूलो की तालाबन्दी को रोकने के लिए सरकार किन विकल्पो का सहारा लेगी।