अध्यापकों को हर बार गुपचुप आश्वासन ही क्यों देते हैं मुख्यमंत्री

मनोज मराठे/भोपाल। पिछले दिनों जब अध्यापकों का आंदोलन स्थगित हुआ तब से हमारे मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान छतरपुर की सभा हो या खरगोन का अंत्योदय मैला जहां भी गये जब भी अध्यापक संवर्ग के कोई पदाधिकारी मिले या ज्ञापन दिया तो बस एक ही जवाब और आश्वासन की मैं शीघ्र समान कार्य समान वेतन और छत्तीसगढ से कुछ अच्छा दूंगा ’किंतु इस बीच मध्यप्रदेश सरकार केबिनेट स्तर की दो मिटिंगे सम्पन्न हुई और कोई निर्णय नही लिया इस बीच आज दिनांक 11 जून को केबिनेट मिटिंग समाप्ति के बाद अध्यापक संविदा वर्ग के प्रमुख मनोहर प्रसाद दूबे और साथियों ने इस संबंध में मुलाकात की तो उन्हे भी शीघ्र समान कार्य समान कार्य के वेतन जारी करने की बात की है।

यहां पर सवाल यह कि जब मुख्यमंत्री जी को हमें कुछ देना है तो स्वयं घोषणा या प्रेस नोट या प्रेस वार्ता कर खुली घोषणा क्यों नही करते है, आज दिनांक 11 जून को मुख्यमंत्रीजी चाहते तो केबीनेट की मिटिंग में अध्यापको के संबंध में निर्णय लेकर आदेश जारी कर सकते थें किंतु ऐसा क्यों नही किया गया लाखों अध्यापकों में चर्चा का विषय है।  इस तरह के लालीपाप पिछले तीन माह से मिल रहे है परंतु जब तक सरकार की ओर से अधिकृत प्रेसनोट या आदेश जारी नही होते हमें हमारे आंदोलन की तैयारी में लगे रहना चाहिए।

यही नही हमारे संगठनो के साथी भी जैसे-जैसे स्कूल खुलने का समय पास आने लगा है मध्यप्रदेष में अध्यापको के नेताओ ने फिर अपनी अपनी ढपली अपना अपना राग चालू कर दिया हैं। अध्यापको के हितों को नजरअंदाज कर जिसमें 9 जून अध्यापक कोर कमेटी ने भोपाल में मिटिंग का आयोजन किया। जिसे मनोहर प्रसाद दूबे जी ने समर्थन दिया पर खुद नदारद रहे क्यो? तो कोर कमेटी ने 11 सदस्यों को लेकर एक समिति बनाई और 16 जून तक हमारी मांगों की घोषणा करने की तारीख सरकार को दी पर इस संबंध में कोई पत्र या ज्ञापन सरकार के किस अधीकारी और प्रतिनिधी को दिया मालूम नही?

16 से 22 जून तक मौन पर विद्यालयों में जायेगे अर्थात् स्कूल चलो और सरकार का प्रतिभा पर्व मनाओं फिर कोर कमेटी ने 16 जून तारीख देने के बाद 22 जून को पदयात्रा सीहोर से भोपाल के लिए तय की और 23 को भोपाल पहुंचेंगे यह निर्णय 9 जून की बैठक में हुआ परंतु इस बैठक में न तो कोई सरकारी अधिकारी नही अध्यापक संघ का गठन का कोई पदाधिकारी पहुंचा परंतु कोर कमेटी ने कम से कम छुठ्ठीयों में एक दिन तो अध्यापको के लिए भोपाल में आंदोलन के नाम पर बिताया जिसके लिए वे धन्यवाद के पात्र है।

परंतु जब संयक्त मोर्चे के अंतर्गत आंदोलन पिछली बार से चल रहा था जिसमें गुरूजी, अतिथी, संविदा व अध्यापक संवर्ग सभी शामिल थे और सरकार ने बार बार कहा कि हड़ताल खत्म करों फिर वार्ता करेंगे किंतु ढुल मुल व नकारात्मक व सकारात्मक अघोषित वार्ताओं का दौर चलता रहा। किंतु सरकार ने कोई कदम नही उठाया किंतु छत्तीसगढ सरकार ने इस बीच समान कार्य समान वेतन दे ही डाला और हमारी सरकार हमें आज भी झूला रही है तो दूसरी ओर हमारे संगठनों के नेता फिर भी अपनी हरकतो से बाज नही आ रहें है मेरा सभी आम अध्यापकों से निवेदन है कि वे अपने नेताओं से कंहे कि नेतागीरी छोडकर वास्तव में अध्यापको के हित के लिए हितैषी बनकर स्कुल खुलते ही एक मंच पूर्व से संयुक्त मोर्चे के नाम से बना है के साथ एकजुट होकर अध्यापको के हित में साथ मिलकर काम करें क्योंकि अध्यापको का संगठन कोई राजनीतिक संगठन नही है नाहि इसका उद्देश्य राजनीतिक है।

अगर मोर्चे के किसी भी संगठन के दूसरे संगठन पदाधिकारीयों से नही बनती तो हमारे हित में चुप रहकर काम करें और आलोचना बंद करें। अब तक या पिछे क्या हुआ भूल जायें। पिछली बातें लेकर मनमुटाव कायरता है कायरता छोड अपने और अध्यापको के लिए खुलकर सामने आयें अन्यथा अपना पद आज छोड दे। क्योंकि सरकार ने तो अपना रूख वित्त मंत्री जी के बयान के माध्यम से स्पष्ट कर दिया है और मुख्यमंत्री जी भी आश्वासन देकर भ्रम पैदा कर रहे है घोषणा नही।  ऐसी स्थिति में अब हमें हमारे लिए मोर्चे के माध्यम से पूर्व से स्थगित आंदोलन 15 जून से पूनः प्रारंभ करना है।

इसके लिए मैं अध्यापक संविदा, गुरूजी, व अतिथीयों से निवेदन किया है कि वे अपने अपने संगठनों के सभी नेता व पदाधिकारी एक मंच पर आकर तैयारी करें तो सभी आम अध्यापक अपने अपने क्षेत्र के गुरूजी, अतिथी, संविदा व अध्यापक भाईयों को ब्लाक स्तर व संकुल स्तर पर पूरे प्रदेष में मोर्चे के बैनर पर आंदोलन स्वयं प्रारंभ कर दें व संगठन के जो भी पदाधिकारी या नेता आंदोलन का विरोध करते है और साथ नही देते है उन्हे तत्काल सभी मिलकर पद से हटाने की घोषणा कर तत्काल दूसरे जिम्मेदार साथीयों को जिम्मेदारी दे अध्यापको के संगठनो का पद व संगठनो की हितो की रक्षा के लिए है सरकार की मंशा के लिए व सकारात्क चर्चाओं के लिए नही और नही नेतागिरी करने के लिए और अब गुटबाजी छोड़कर एक सूर व स्वर में 15 जून से आंदोलन में आ जाओं नही तो अचानक चुनाव की अधिसूचना लग गई तो शिवराज जी को बहाना मिल जायेगा और हमें फिर 2018 तक पश्चाताप व इंतजार करना पडेगा।

यदि 15 जून से आंदोलन के बाद भी कुछ नही मिलता तो हमें हमारी रणनिती नये सिरे से बनाना होगी बस एक ही नारा हम नही तो आप भी नही। पदो पर बैठे साथियों अभी भी गुटबाजी छोड़ो नही तो आम अध्यापक तुम्हे संकुल, ब्लाक, जिले व प्रदेश के पदों से हटा देंगे। आंदोलन नही करते गुटबाजी करते हो इसलिए हमें तुम्हारी जरूरत नही सब मिलकर अपनी लड़ाई निचे से उपर तक खुद लड़ लेंगे हमारी एकता जिंदाबाद।

साथीयों हमें मुख्यमंत्रीजी की ओर से जैसा की दिनांक 11 जुन 2013 को दूबे जी और साथियों को पूरा कोरा आश्वासन दिया कोई अधिकारीक प्रेस नोट जारी नही किया ऐसा आश्वासन वे हमें आंदोलन के बाद हर सभा और हर प्रतिनिधी जो उनसे मिलने गया देते आ रहे हैं किंतु जब तक लिखित में आधिकारिक आदेश सरकार जारी नही करती हमें हमारे आंदोलन कि तैयारी में जी जान लगाना है। यदि सरकार को वास्तव में समान कार्य समान वेतन देना है तो सभी अध्यापक संगठनो के प्रमुखों को बुलाकर छत्तीसगढ सरकार की तरह अंतिम वार्ता के लिए मिटिंग का आयोजन करें। कोरे आश्वासन बंद करें।

  • लेखक मनोज मराठे संयुक्त मोर्चा के संरक्षक हैं।
  • संपर्क 9826699484


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