राकेश दुबे@प्रतिदिन। नरेंद्र मोदी दिल्ली दरबार में हाजिरी लगा आये । उनकी इस यात्रा से जो सन्देश निकला है, वह नितीश कुमार के वरिष्ठनिष्ठा भाषण और भाजपा में अपनी पहचान किसी नेता की छत्रछाया में न बनने देने का जवाब है ।
वास्तव में भारतीय जनता पार्टी को इस समय ऐसे ही नेताओं की आवश्यकता है , जो सबको साथ लेकर चल सकें और देश, चुनाव के पहले और चुनाव के बाद कुव्यवस्था के शासन तंत्र से बाहर आ सके ।
देश का दुर्भाग्य है की आज़ादी की इस लम्बी अवधि के बाद भी कुछ राज्य , अनेक जिले और सैकड़ों गाँव उन प्रारम्भिक मानवीय सुविधाओं से वंचित हैं , जो उनका अधिकार है । सरकारें अब तक वोट बैंक के आधार पर विकास का वह पैमाना तय करती रही हैं । जो विकास से कई गुना ज्यादा भ्रष्टाचार बढ़ाता है । ऐसा नहीं है मोदी कोई जादू का डंडा लेकर सब कुछ बदल देंगे । वे प्रयास करना चाहते हैं । जनता दल [यु ] राजनीतिक कारणों से मोदी की सदाशयता पर शक कर रहा है, और भाजपा के लालकृष्ण आडवाणी का खेमा प्रतिस्पर्धा में पिछड़ने के कारण । आज दिल्ली में डॉ मुरली मनोहर जोशी,आडवाणी और अटल जी से मिलना सम्मान प्रगट करना था । इससे मोदी का मन्तव्य प्रगट नहीं होता है।
अयोध्या से लौटने के बाद, मोदी का मंतव्य स्पष्ट होगा और उस नक्शे आडवाणी के साथ उन नेताओं के भी पूरे उपयोग का इरादा है जो ऐन केन प्रकारेण संगठन से दूर किये गये है या रूठे हुए हैं ।