कोटा में पकड़ा गया देश भर की एड.ऐजेंन्सियों को चूना लगाने वाला नटवरलाल

भोपाल। देशभर की एक दर्जन से ज्यादा विज्ञापन एजेन्सियों से करीब पांच करोड़ रूपए ठग चुके शातिर ठग व उसके दो गुर्गो को कोटा की गुमानपुरा पुलिस ने सूरत से गिरफ्तार किया है। दोनों को बुधवार को न्यायालय में पेश कर 8 जून तक रिमांड पर लिया है। अभियुक्तों ने कोटा की विज्ञापन एजेन्सी कोहिनूर पब्लिसिटी को भी करीब 21 लाख रूपए का चूना लगाया था।

जांच कर रहे उप निरीक्षक मुन्ना अली ने बताया कि इस ठगी के मास्टरमाइंड गोपाल अय्यर [33] व उसके गुर्गे धर्मेश [25] व राहुल मराठी [27] को सूरत से गिरफ्तार किया है। गोपाल ने ग्रेब व आरबीएस के नाम से दो फर्जी विज्ञापन एजेन्सियां बना रखी है, जिनका कहीं कोई पंजीयन नहीं है। इन्हीं के आरओ [रिलीज ऑर्डर] के आधार पर ये ठग आईएनएस [इण्डियन न्यूजपेपर सोसायटी] से संबद्ध एजेन्सियों के जरिए देशभर के विभिन्न अखबारों में विज्ञापन छपवा देते थे और चेक थमा देते थे।

जब एजेन्सियां संबंघित बैंकों में चेक लगाती तो या तो बाउंस हो जाते या फिर खाते बंद पाए जाते। कोटा की कोहिनूर पब्लिसिटी के साथ भी इन्होंने ऎसा ही किया। एजेन्सी की संचालक नसरीन ने इस संबंध में 2 अप्रेल को एफआईआर दर्ज कराई थी। प्रकरण में गिरफ्तार अभियुक्तों के अलावा दो बड़ी विज्ञापन एजेन्सियां, जोधपुर में किसी एजेंसी का संचालक जसवंत सिंह व दो बैंकों को भी नामजद किया है, जिनकी भूमिका जांची जा रही है।

ढूंढते थे बीच की कड़ी

पुलिस ने बताया कि अभियुक्तों ने कोटा की कोहिनूर से विज्ञापन छपवाने के लिए पहले जोधपुर के जसवंत सिंह से सम्पर्क किया। जसवंत भी कोहिनूर से विज्ञापन छपवाता रहता है। इसी आधार पर दिसम्बर 2012 से जनवरी 2013 के बीच करीब 21 लाख रूपए के विज्ञापन छपे। पैसों की बात आई तो इन्होंने जो चेक दिए वे खाते ही बंद मिले। कुछ चेक बैंकों से बाउंस होकर लौट आए। जांच में सामने आया कि बैंकों में इनके नाम-पते व आईडी तथा मोबाइल सिमों में भी फर्जी आईडी प्रयुक्त होना पाया गया है। जसवंत जैसी ही कडियां ये अन्य विज्ञापन एजेन्सियों के लिए ढूंढते थे। अब तक की पूछताछ में मुख्य अभियुक्त गोपाल ने दिल्ली, मुम्बई, हैदराबाद, सूरत, जोधपुर, लखनऊ, इन्दौर व बेंगलूरू की एक दर्जन एजेंसियों से ठगी की बात कबूली है।

सारा खेल एजेंसियों के बीच

पुलिस का मानना है कि अभियुक्तों को ग्राहक सीधे तौर पर विज्ञापन नहीं दे रहे। बल्कि यह सारा खेल एक एजेंसी से दूसरी एजेंसी के बीच चल रहा है। जांच में सामने आया है कि अभियुक्त एक एजेंसी को ठगने के बाद उससे पैसे निकलवाने के लिए विज्ञापन मांगता था और दूसरी एजेंसी से छपवा देता था। जिन बड़ी फर्मो के विज्ञापन कोटा की एजेंसी से छपवाए गए, उसमें सूरत व हैदराबाद की दो बड़ी विज्ञापन एजेंसियों की भूमिका सामने आई है। ये एजेंसियां भी गोपाल अय्यर से पैसा मांगती है और पैसा निकलवाने के लिए ही इन्होंने गोपाल अय्यर को विज्ञापन दिए।

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