भोपाल। हाल ही में राज्य शिक्षा केंद्र ने एक आदेश निकाला है, जिसमें स्पष्ट किया गया है कि नए शिक्षा सत्र में सरकारी स्कूल में नियुक्त किए जाने वाले अतिथि शिक्षकों को सिर्फ मानदेय दिया जाएगा। न तो उन्हें उनके कार्यकाल का कोई अनुभव प्रमाणपत्र दिया जाएगा और न ही इस अवधि का कार्यानुभव उनकी किसी सरकारी भर्ती में काम आएगा।
यह आदेश ऐसे समय में आया है, जब सीएम शिवराज सिंह चौहान अतिथि शिक्षकों को स्थाई नियुक्तियों में वरीयता देने की घोषणाएं कर रहे हैं। सरकार उन्हें आश्वासन दे रही है कि गुरुजियों की तरह उनकी पात्रता परीक्षा आयोजित की जाएगी। दूसरी तरफ राज्य शिक्षा केंद्र ने उन्हें किसी भी तरह का अतिरिक्त लाभ देने से मना कर दिया है।
राज्य शिक्षा केंद्र के नए फरमान का मध्यप्रदेश के अतिथि शिक्षकों ने विरोध करते हुए उन्हें भर्ती के बाद सभी प्रकार के लाभ देने की बात कही है। ऐसा नहीं होने पर अतिथि शिक्षकों ने आंदोलन करने का मन बना लिया है। नियमों का नया शिकंजा अतिथि शिक्षकों के कार्य का मूल्यांकन वरिष्ठ शिक्षक या प्रधानाध्यापक करेंगे। अगर काम सही नहीं पाया गया, तो अतिथि शिक्षक को बीच में हटाया जा सकता है।
उसकी जगह पैनल में उसके बाद आने वाले नाम को जगह दी जा सकती है। पिछले साल तक यह व्यवस्था थी कि जो अतिथि शिक्षक पिछले सत्र में सेवाएं दे रहे थे, उन्हें इस सत्र में वरीयता दी जाएगी। इस बार के आदेश में ऐसा उल्लेख नहीं है, बल्कि यह आदेश दिया गया है कि अतिथि शिक्षकों की नियुक्ति स्कूल स्तर पर पैनल बनाकर प्रधानाध्यापक और सीएमसी अध्यक्ष मिलकर करेंगे। इस पैनल के बनते ही पिछली पैनल अपने आप अमान्य हो जाएगी। नई पैनल एक अकादमिक सत्र के लिए मान्य होगी।