राकेश दुबे@प्रतिदिन। डीएमके की और से कनिमोझी अब राज्य सभा की सदस्य चुन ली गई है| चुनाव नहीं उम्मीदवार की अर्हता पर प्रश्न उठाना चाहिए थे| सब चुप थे और शायद चुप रहने में ही पूरी राजनीतिक बिरादरी अपनी खैर मनाती है, क्योंकि सब इस मामले में एक जैसे हैं, और सब चुनाव सुधार की बात करते हैं, यह राजनीति नहीं चालबाजी है|
पंचायत की वार्ड मेम्बरी से लेकर संसद तक जाने वालों में अपराधी, भ्रष्ट, घोटालेबाज और भाई भतीजों से जगह बचे तो किसी ऐसे आदमी को टिकट मिले, जो मतदाताओं के लिए कुछ करे| सारे राजनीतिक दल यही तो कर रहे है| उत्तर प्रदेश तो ऐसे मामलों में सबसे आगे है, पूरा परिवार राजनीति में जो शेष बचे उनको लेन की जिद |
देश में कई व्यक्ति और संगठन जैसे “आप” चुनाव सुधार की बात करते करते चुनाव लड़ने पर उतर आते हैं| थोडा सब्र चाहिए देश को बनाने के लिए| इतना सब्र किसी के पास नहीं है , राजनीति के सहारे रूपये बनाने के खेल उजागर हो गये है| कुछ अभियान और चले तो ऐसे लोग प्रत्यक्ष चुनाव में जनता के हाथों पराजय के सिवा कुछ नहीं पा सकेंगे| राज्यसभा को इससे बचाने के लिए संविधान में संशोधन करना अब जरूरी हो गया है|