मॉडल स्कूलों में अतिथि शिक्षकों के हवाले प्रदेश के सर्वश्रेष्ठ विद्या​र्थी

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भोपाल। शिवराज सरकार ने प्राइवेट स्कूल्स के काम्पटीशन के नाम पर मॉडल स्कूल्स की स्थापना तो कर दी, नियम बना दिए कि इसमें एडमिशन के लिए विद्यार्थियों को व्यापम की परीक्षा पास करनी होगी परंतु इसके बाद निकलकर आए प्रदेश के सर्वश्रेष्ठ स्टूडेंट्स को अतिथि शिक्षकों के हवाले कर दिया। अब आप ही बताइए कि जब तमाम प्रशिक्षण प्राप्त करने के बाद सरकारी स्कूलों के शिक्षक औसत हैं तो अप्रशिक्षित अतिथि शिक्षक छोटी सी पगार में कैसे कर पाएंगे कॉम्पटीशन फाइट।

शासन ने समय समय पर स्कूली शिक्षा में गुणात्मक एवं रचनात्मक सुधार हेतु कई योजनाओं को प्रारंभ किया। राजनैतिक मंशा जो भी हो लेकिन उद्देश्य तो यही प्रकट हुए की गरीब छात्रों हेतु उक्त कदम उठाये जा रहे हैं। इन प्रयोगों का शिकार आखिर में विद्धार्थियों को ही होना  पड़ता है।

पूर्व में उत्कृष्ट विद्यालय बड़े जोर शोर से प्रत्येक ब्लाक में खोले गए थे,जिनकी स्थिति यह  है की आज तक एक दशक हो जाने के बाद भी इन विद्यालयों में शिक्षकों की नियुक्ति नहीं हो पायी है और तमाम निकृष्ट ताओं के साथ ये संलग्न हैं।

इसी क्रम में केंद्र एवं राज्य सरकार ने मॉडल  स्कूल 2011-12 से प्रारंभ किये। जो की प्रत्येक ब्लाक स्तर पर कक्षा 9 से शुरू किये गए . शासन का पाखण्ड देखिये की इन विद्यालयों में विद्यार्थियों के लिए प्रवेश की परीक्षा व्यापम द्वारा तय की गयी। प्रदेश के क्रीमी लेयर के विद्यार्थी चयनित किये गए और उन्हें सौंप दिया गया अनुभवहीन अतिथि शिक्षकों के हवाले, जिनका खुद का भविष्य निश्चित नहीं है।

इस सत्र में तो जो अतिथि चयनित हो रहे हैं वे व्यापम द्वारा ली गयी परीक्षा में अनुत्तीर्ण हैं या योग्य नहीं है, जबकि मॉडल स्कूल वादा करता है विद्यार्थियों को श्रेष्ठतम शिक्षा देने का।

शासन द्वारा प्रत्येक मॉडल विद्यार्थी को लगभग 5000 रूपये वार्षिक व्यय प्रदान किया जाता है। ब्लाक स्तर पर 5 करोड़ से ज्यादा की राशि भवन निर्माण हेतु प्रदान की जा चुकी है, लेकिन हर जगह भारी अनिमियात्तायें व्याप्त हैं। शासन का ध्यान मॉडल स्कूलों पर कतई नहीं है।

माननीय शिक्षा मंत्री जी एवं माननीय मुख्यमंत्री जी से यह प्रश्न है की पूरे प्रदेश में जब शिक्षकों की भर्ती की जा रही है तो नगरी निकाय में क्यूँ नहीं ? मॉडल एवं उत्कृष्ट स्कूलों को क्यूँ शिक्षक विहीन रखा जा है या फिर अगर शिक्षकों की प्रति नियुक्ति की जाना है तो  पिछले दो सालों सालों से प्रतिनियुक्ति क्यूँ नहीं की गयी है।

प्रदेश के विद्यार्थियों के साथ शासन द्वारा खिलवाड़ किया जा रहा है। प्रदेश के श्रेष्ठ क्रीमी लेयर के छात्रों को अयोग्य शिक्षकों के हवाले कर लाखों विद्यार्थियों के भविष्य में आग लगाई जा रही है. और बर्तमान सत्र 2013 के जो छात्र कक्षा 10 उत्तीर्ण कर चुके हैं वे 11 में प्रवेश हेतु इधर उधर भटक रहे हैं। मॉडल की कक्षाएं 11 से संचालित नहीं की जा रही हैं, इन विद्यार्थियों को उत्कृष्ट विद्यालयों के साथ ही शिक्षण देने का आदेश आ चूका है।

शासन से यह आग्रह है की मॉडल स्कूलों में एवं उत्कृष्ट स्कूलों में शीघ्र ही शिक्षकों को नियुक्त किया जाए। अतिथियों के हवाले योग्य छात्रों को ना सौंपा जाए। आखिर प्रदेश के मासूम विद्यार्थियों का क्या दोष है की उनके भविष्य पर ही प्रश्न चिन्ह लग गया है।

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