नई दिल्ली। सरकारी नियमों में बंधे रहने के कारण मध्यप्रदेश के ग्वालियर के एक बुजुर्ग मरीज आरके वशिष्ठ को स्टेंट नहीं लग पा रहा है। मरीज का एंजियोप्लास्टी होना है। गुणवत्तायुक्त स्टेंट के लिए वशिष्ठ दिल्ली सरकार के सुपरस्पेशियलिटी जीबी पंत अस्पताल में 68,250 रुपये जमा करा चुके हैं, लेकिन फीस जमा कराने के बाद नियम बदल गए और डॉक्टरों ने इलाज करने से इंकार कर दिया है।
पेशे से वकील 67 वर्षीय वशिष्ठ की दो धमनियों में सौ फीसद तक ब्लाकेज है। डॉक्टर ने एंजियोप्लास्टी की जरूरत बताई। वर्ष 2011 में डॉक्टर ने मरीज को दो स्टेंट डालने के सलाह दी थी। एक लाख रुपये जमा करने पर वर्ष 2011 में डा. विजय त्रेहान ने एक स्टेंट डाल दिया था। दूसरा स्टेंट स्वास्थ्य में सुधार के बाद डालने की सलाह दी गई। करीब सवा तीन माह पहले जीबी पंत में दिखाने पर दूसरा स्टेंट डालने की सलाह दी गई। साथ ही बताया गया कि सरकार ने स्टेंट की कीमत घटा दी है। इसलिए एक स्टेंट के लिए अस्पताल में 68,250 रुपये जमा करा दें। आर्थिक रूप से कमजोर मरीज को मध्यप्रदेश सरकार ने 50 हजार की आर्थिक सहायता दी। इसके बाद मरीज ने 4 मार्च, 2013 को जीबी पंत अस्पताल में 68,250 रुपये जमा करा दिये।
अस्पताल के डॉक्टरों के मुताबिक, दिल्ली सरकार के स्वास्थ्य विभाग ने नया आदेश जारी कर स्टेंट की कीमत कम कर दी है। अब 25 हजार से अधिक कीमत का स्टेंट नहीं खरीदा जा सकता। वहीं मरीज का कहना है कि इससे एंजियोप्लास्टी की गुणवता खराब हो रही है। इतने में अच्छी गुणवत्ता का मेडिकेटेड स्टेंट नहीं मिल पाता। उन्होंने बताया कि डॉ. विजय त्रेहान ने अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक को पत्र लिखकर बताया था कि मरीज को अच्छी गुणवत्ता के स्टेंट की जरूरत है। इसलिए एक स्टेंट उपलब्ध कराया जाए क्योंकि उसे और भी कई बीमारियां हैं। मरीज ठीक से चल भी नहीं पाता। उसकी सांसे भी फूल रही है। सीने में दर्द रहता है। नियम में उलझे सरकारी तंत्र से परेशान मरीज का कहना है कि उसका इलाज नहीं हुआ तो खुदकुशी कर लेंगे। उसके नाती रोहित ने बताया कि इलाज के लिए दूसरों से कर्ज भी लिया है।
इधर, अस्पताल के निदेशक डॉ. एसके खन्ना ने कहा कि 25 हजार में भी मेडिकेटेड स्टेंट उपलब्ध है। हम सरकारी आदेश से बंधे हुए हैं। एक मरीज के लिए अलग से स्टेंट नहीं खरीद सकते।