भारत के निर्माण पर शक है, हकीकत में

राकेश दुबे@प्रतिदिन। इन दिनों दूरदर्शन और रेडियो  पर आने वाला भारत के निर्माण पर हक है मेरा विज्ञापन दिखाई और सुनाई  नहीं दे रहा है । कुछ लोग इस विज्ञापन की पैरोडी बनाकर इसे भारत के निर्माण पर शक है मेरा कहा  करते थे।

पैरोडी बनाने वाले सही थे सरकार का दावा गलत था । इसकी पुष्टि राष्ट्रीय  सेम्पल संगठन ने की है । यह संगठन भारत सरकार का संगठन है और शासकीय कार्यक्रमों के मूल्यांकन का ही काम उसके जिम्मे है ।

संगठन की ताज़ा रिपोर्ट बताती है की देश के गाँव और शहर गरीब आदमी मुश्किल से दिन काट  रहा है। महंगाई और बेरोज़गारी को यह सरकार मिटा नहीं पाई । गाँव और शहर की मजदूरी में फर्क है। पुरुष और महिला की मजदूरी दरों  में फर्क है । आम आदमी गाँव और शहर में  बमुश्किल अपना  जीवन चला रहा है। सरकारी आंकड़ा है की गाँव में १७ रूपये और शहर में २३  रूपये रोज़ पर आम आदमी जी रहा है।

देश में लगभग ९० लाख से अधिक महिलाएं बेरोजगार हैं। पिछले आंकड़ों से तुलना , बताती है शासकीय योजनाओं में तुलनात्मक रूप कम रोज़गार का सृजन हुआ है गाँव और शहर में प्रति व्यक्ति आय भी घटी है । यह हकीकत है, शक-ओं- सुबह  की कोई गुंजाइश  नहीं। 


  • लेखक श्री राकेश दुबे वरिष्ठ पत्रकार एवं प्रख्यात स्तंभकार हैं। 
  • संपर्क  9425022703 
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