इंदौर। केदारनाथ धाम में अतिवृष्टि के बाद आयी भीषण आपदा में मध्यप्रदेश के इंदौर जिले के एक भाजपा नेता और उनकी पत्नी समेत तीन लोगों के मरने की आज पुष्टि हो गई। इस आपदा में जिले के सात अन्य लोगों के मारे जाने की आशंका है।
एडीएम आलोक सिंह ने बताया कि केदारनाथ आपदा में मारे गये लोगों की पहचान भाजपा के इंदौर मंडल के महामंत्री भगवान सिंह (45), सुगन बाई (40) और रूप सिंह (70) के तौर पर हुई है। सुगन बाई भगवान सिंह की पत्नी थीं। वह इंदौर जनपद पंचायत की सदस्य थीं।
सिंह ने बताया कि केदारनाथ में भीषण प्राकृतिक आपदा के दौरान मारे गये तीनों लोग जिले के झालरिया गांव के रहने वाले थे। वे एक निजी ट्रैवल्स संचालक की बस से उत्तराखंड की चार धाम यात्रा पर निकले जत्थे में शामिल थे। उन्होंने बताया कि इस आपदा के दौरान इंदौर जिले के करीब सात अन्य लोग बह गये, जो इसी धार्मिक जत्थे में शामिल थे।
मंदसौर के एक परिवार के दो सदस्य बहे
मंदसौर: केदारनाथ में आए भीषण बाढ में मध्यप्रदेश के मंदसौर के एक परिवार के दो सदस्य भी बह गए हैं जिनका फिलहाल कुछ पता नहीं चल सका है। मंदसौर निवासी शशिकांत खरोड ने दूरभाष पर आज अपने परिजनों को बताया कि वह और उनकी पत्नी मंजू गुप्तकाशी के एक राहत शिविर में सकुशल हैं लेकिन उनके दामाद सुरेश और भांजी हेमलता 16 जून को केदारनाथ मंदिर के पास एक धर्मशाला से पानी के तेज बहाव में उनके सामने ही बह गए। शशिकांत ने बताया कि 16 जून को वह पत्नी, दामाद और भांजी केदारनाथ मंदिर के पास भारत सेवाश्रम संघ नामक धर्मशाला की दूसरी मंजिल पर रूके थे। सुबह साढे सात बजे अचानक पानी के तेज बहाव में धर्मशाला का आधा हिस्सा बह गया। उनकी आंखों के सामने ही इसी दौरान भांजी और दामाद भी बह गए , जिनके बारे में अभी तक कुछ पता नहीं है।
उन्होंने बताया कि उन्होंने पत्नी के साथ केदारनाथ मंदिर में जाकर शरण ली लेकिन वहां पर 17 जून को सुबह फिर तेज बहाव के साथ पानी और बड़ी मात्रा में मलबा भी मंदिर के अंदर जमा हो गया। मंदिर के एक कोने में शरण लिए इन दोनों के साथ ही अनेक लोगों ने हालाकि कुछ देर बाद थोड़ी राहत महसूस कि जब मलबा एक अन्य दरवाजे और वहां की दीवार ध्वस्त होने के साथ ही बाहर चला गया। मौत के साथ साक्षात्कार करने वाले शशिकांत ने कहा कि सैकड़ों लोगों ने एक.एक ढक्कन पानी पीकर किसी तरह अपने आप को जीवित रखा और दो दिन बाद वहां पहुंचे राहत दल ने सभी को गुप्तकाशी स्थित राहत शिविर में पहुंचाया। अब शशिकांत और उनकी पत्नी मंदसौर वापस लौटने का प्रयास कर रहे हैं, लेकिन परिजन उनके सुरक्षित होने की सूचना के बाद प्रसन्न हैं और उनका बेसब्री से घर वापसी का इंतजार कर रहे हैं।
उन्होंने बताया कि उन्होंने पत्नी के साथ केदारनाथ मंदिर में जाकर शरण ली लेकिन वहां पर 17 जून को सुबह फिर तेज बहाव के साथ पानी और बड़ी मात्रा में मलबा भी मंदिर के अंदर जमा हो गया। मंदिर के एक कोने में शरण लिए इन दोनों के साथ ही अनेक लोगों ने हालाकि कुछ देर बाद थोड़ी राहत महसूस कि जब मलबा एक अन्य दरवाजे और वहां की दीवार ध्वस्त होने के साथ ही बाहर चला गया। मौत के साथ साक्षात्कार करने वाले शशिकांत ने कहा कि सैकड़ों लोगों ने एक.एक ढक्कन पानी पीकर किसी तरह अपने आप को जीवित रखा और दो दिन बाद वहां पहुंचे राहत दल ने सभी को गुप्तकाशी स्थित राहत शिविर में पहुंचाया। अब शशिकांत और उनकी पत्नी मंदसौर वापस लौटने का प्रयास कर रहे हैं, लेकिन परिजन उनके सुरक्षित होने की सूचना के बाद प्रसन्न हैं और उनका बेसब्री से घर वापसी का इंतजार कर रहे हैं।