भोपाल। उत्तराखंड जलप्रलय के वहां फंसे यात्रियों की मदद के लिए मध्यप्रदेश से जनसंपर्क मंत्री के साथ एक राहतदल भेजा गया है, उनके पास दो हेलीकॉप्टर्स हैं एवं दो और पहुंचने वाले हैं, बावजूद इसके राहत दल के अफसरों का कहना है कि हम पहाड़ों में फंसे यात्रियों की कोई मदद नहीं कर पाएंगे।
सनद रहे कि उत्तराखंड में जलप्रलय के तत्काल बाद मध्यप्रदेश सरकार ने सबसे पहले मदद के हाथ बढ़ाए और अपने नागरिकों को वहां से सुरक्षित बाहर निकालने के उपक्रम शुरू किए। आवश्यक धनराशि और तमाम संशाधन भी उपलब्ध कराए गए। सरकार ने अपने एक केबीनेट मंत्री की देखरेख में राहत दल को उत्तराखंड भेजा जो अभी भी वहीं पर मौजूद है, परंतु बस मौजूद है और जो लोग जैसे तैसे करके उनके पास तक पहुंच रहे हैं उन्हें रेल टिकिट थमाकर वापस मध्यप्रदेश रवाना किया जा रहा है।
हनुमान चट्टी, यमुनोत्री से लेकर केदारनाथ तक पहाड़ियों के बीच में फंसे यात्रियों की कोई मदद नहीं की जा रही है। हालात यह हैं कि राहतदल में मौजूद अधिकारी इस विषय में ठीक प्रकार से बात करने तक को तैयार नहीं हैं। वो हर कॉलर को केवल एक ही जवाब दे रहे हैं, अपने परिजनों से कहिए हरिद्वार आ जाएं, यहां से हम उन्हें मध्यप्रदेश तक पहुंचा देंगे।
इस संदर्भ में जब भोपालसमाचार.कॉम ने राहत दल में मौजूद उमाशंकर भार्गव मोबा नं. 09425168757 से चर्चा की तो उन्होंने बिल्कुल वही जवाब दिया, जो फेसबुक पर कई सारे लोगों ने अपडेट कर रखा है। उन्होंने साफ कहा कि पहाड़ियों पर फंसे यात्रियों की कोई मदद नहीं की जा सकेगी, उन्हें कहिए नीचे आ जाएं।
अब सवाल केवल इतना है कि जब पहाड़ियों पर फंसे तीर्थयात्रियों की कोई मदद नहीं की जा सकेगी तो मध्यप्रदेश में हरिद्वार तक जाने की जरूरत क्या थी और हेलीकॉप्टर्स का हेलीपेड पर सजाने के लिए ले जाए गए हैं। मौसम विभाग ने साफ संकेत दे दिया है कि राहत कार्यों के लिए मात्र 36 घंटे बचे हैं, यदि इस समय में पहाड़ियों में फंसे 75000 तीर्थयात्रियों, जिनमें मध्यप्रदेश के तीर्थयात्रियों की संख्या लगभग 6000 है को नहीं निकाला गया तो कहा नहीं जा सकता कि आने वाली तूफानी बारिश के बाद वो जिंदा बच भी पाएंगे या नहीं।
बहुत खराब हो चुके हैं हनुमान चट्टी के हालात
हनुमान चट्टी समुद्र तल से 2400 मीटर की ऊंचाई पर गंगा नदी और यमुना नदी के संगम बिंदु पर स्थित है। इससे पहले, यह जगह यहाँ से 13 किमी की दूरी पर स्थित लोकप्रिय हिंदू तीर्थ स्थल यमुनोत्री का आरम्भिक बिन्दू था। कुल मिलाकर यह कहिए कि विभिन्न माध्यमों से पहुंचने वाले लोग हनुमान चट्टी पर जमा होते हैं, वहां से जानकी चट्टी पहुंचते हैं और फिर शुरू होती है यात्रा।
इस जलप्रलय के बाद बदरीनाथ हाईवे पर कंचन गंगा, लामबगड़, रडांग बैंड और हनुमान चट्टी में भारी मलबा आ गया है। यहां से आगे बढ़ने का तो सवाल ही पैदा नहीं होता, लेकिन लोग वापस भी नहीं लौट पा रहे हैं। पहाड़ों के बीच से आती हुई 30 किलोमीटर लम्बी सड़क पूरी तरह से गायब हो गई है। अब एक गहरी खाई दिखाई दे रही है जिसे पार करना असंभव है।
मलबे के कारण इलाके में संक्रामक रोग फैलने लगे हैं। लोग एक समय बासी खाना खाकर काम चला रहा है। कुल मिलाकर तिल तिल मर रहे हैं।