भोपाल। कांग्रेस के नवनियुक्त प्रदेश प्रभारी मोहनप्रकाश अगले सप्ताह भोपाल आकर पदाधिकारियों से रूबरू होंगे। इसके बाद समन्वय समिति की बैठक की बारी आ सकती है। लेकिन इसके दिल्ली में ही होने के आसार हैं।
सूत्र बताते हैं कि प्रदेशाध्यक्ष कांतिलाल भूरिया ने मोहनप्रकाश से दिल्ली में मुलाकात के दौरान उन्हें भोपाल आकर पदाधिकारियों से मुलाकात व बैठक का आग्रह किया था। भूरिया चाहते हैं कि वे परिवर्तन यात्रा में भी शामिल हों, लेकिन मोहनप्रकाश कोई भी मैदानी कार्यक्रम के पहले खुद प्रदेश संगठन के हालचाल समझने के मूड में हैं।
दिल्ली में मप्र के लगभग सभी बड़े नेताओं से उन्होंने चर्चा भी कर ली है और छब्बीस जून को भोपाल आकर वे कार्यकारिणी की बैठक संबोधित करेंगे। इसमें वे कांग्रेस के चुनाव एक्शन प्लान आदि के लिए भी टिप्स देंगे। इसके बाद वे दिल्ली में मप्र की समन्वय समिति की बैठक भी लेंगे। इसमें मप्र के तमाम दिग्गज नेता शामिल हैं।
सचिवों की सूची अटकी
सूत्र बताते हैं कि भूरिया अपनी कार्यकारिणी में सचिवों की नए सिरे से नियुक्ति करना चाहते हैं। इस संदर्भ में उन्होंने तत्कालीन प्रभारी महासचिव बीके हरिप्रसाद ने चर्चा भी कर ली थी। यही वजह है कि पुराने सभी अड़तालीस सचिवों को पंद्रह जून की रणनीतिक बैठक में भी बुलाया गया था। दरअसल भूरिया ने 65 सचिवों की नियुक्ति की तैयारी की है, लेकिन अचानक हरिप्रसाद को बदलने के बाद इस पर मोहनप्रकाश की मुहर लगना जरूरी हो गया है।
टीम भूरिया में खदबदाहट
प्रदेश कांग्रेस में भूरिया के पुराने विश्वस्तों पदाधिकारियों में आजकल खदबदाहट है। वजह इनकी मौजूदा स्थिति है। प्रमोद गुगालिया हाल तक मीडिया प्रभारी थे, लेकिन मीडिया सेल पुनर्गठन के बाद उनकी भूमिका स्पष्ट नहीं थी। गत रात मुकेश नायक को मीडिया प्रभारी बनाने के बाद गुगालिया ने शुक्रवार सुबह पीसीसी का अपना ब़डा कक्ष खाली कर दिया और नायक के बगल वाले छोटे केबिन में बैठ गए। वहीं भूरिया के करीबी प्रभारी सचिव संजय दुबे को भूरिया ने पीसीसी का कंट्रोल रूम प्रभारी बनाया, लेकिन त्रिलोक दीपानी पदमुक्त होने से सन्न हैं। वहीं राजेंद्र गेहलोत भी कक्ष और काम के मामले में परेशान हैं। यह सभी पदोन्नत होने की आस में थे। भूरिया के एक अन्य विश्वस्त शांतिलाल पड़िहार महामंत्री जरूर बन गए हैं, लेकिन उनका 'कद' नहीं नजर आ रहा।