मध्यप्रदेश के अध्यापकों को सबसे अच्छी लगती है राजस्थान सरकार

भोपाल। चुनावी भाषा में कहें तो मध्यप्रदेश में 3 लाख वोटर्स को लीड और 15 लाख वोटर्स पर इम्पेक्ट डालने वाले संविदा शिक्षक एवं अध्यापकों को राजस्थान सरकार सबसे अच्छी लगती है, क्योंकि वहां अध्यापन कार्य कराने वालों के साथ कोई चीटिंग नहीं होती। सनद रहे कि पिछले दिनों राजस्थान में मध्यप्रदेश सरकार की तारीफों के कसीदे पढ़े गए थे।

अध्यापक संवर्ग के अनिल नेमा ने एक ईमेल के जरिए भोपालसमाचार.कॉम को बताया कि प्रदेश के संवेदनशील मुख्यमंत्री की असंवेदनशीलता से न केवल अध्यापक व्यथित है,दुखी है, वरन् अध्यापकों के परिवार के सदस्य और शिक्षाविद व शिक्षा की जानकारी रखने वाले बुद्धिजीवी भी ये सोचने को विवशः है कि जब छत्तीसगढ़, राजस्थान व उत्तरप्रदेश में शिक्षकों की बेहतर स्थिति है तो फिर मध्यप्रदेश में अध्यापकों का शोषण क्यो ?

मध्यप्रदेश में क्यों स्नातकोत्तर पढ़े लिखे नौजवान को चपरासी से कम वेतनमान पर काम करने के लिये विवशः किया जाता है ?
मध्यप्रदेश में शिक्षकों को अलग-अलग नाम से सम्बोधित करके क्यों उनका आर्थिक शोषण किया जा रहा है ?
मध्यप्रदेश के विभिन्न स्कूलों में तात्कालिक शैक्षणिक व्यवस्था के नाम पर अतिथि शिक्षकों की नियुक्ति की गई ,परन्तु ये कैसे अतिथि, 10 साल से स्कूलों में नियमित शिक्षकों के समान सेवा दे रहे है? पगार के नाम पर अप्रशिक्षित मजदूर से कम मानदेय ले रहे है ।
सरकार तर्क देती है बजट का अभाव । बजट के अभाव के नाम पर बद से बदतर हो गई मध्यप्रदेश के स्कूलों की शैक्षाणिक व्यवस्था, 2500 रूपये का संविदा शिक्षक और अतिथि शिक्षक गंगा को गंगटोक से निकलकर कंहा तक ले जायेगा,भगवान ही मालिक है ।

मित्रों बजट तो एक बहाना है, सही मायने में अभाव है सरकार की इच्छा शक्ति का ,पिछले 17 साल से प्रदेश का अध्यापक शोषित है ,कई अध्यापक आत्महत्या कर चुके है ,कई हमारे साथी नरियल व श्रीफल लेकर आसमान को ताकते हुये सेवानिवृत हो गये परन्तु सरकार ने प्रदेश के 3 लाख अध्यापकों के लिये अभी तक कोई नीति कोई ‘‘अध्यापक संहिता’’ का निर्धाारण नही कर पाई है।

स्थिति ये है कि हर डी.डी.ओ सरकार के अस्पष्ट आदेश को अपनी तरह से परिभषित करके व्याख्या करते है ,कोई क्रमोन्नीत के नाम पर 25 रूपये का फायदा तो कोई 600 रूपये का फायदा देता है । कंही एक इंक्रीमेंट लगाकर वेतन का निर्धारण तो कंही एक इंक्रीमेंट धटाकर वेतन का निर्धारण । शायद इसी कारण टी.व्ही में विज्ञापन आता है ‘‘अजब एम.पी गजब एम.पी’’।

अब बात इच्छाशक्ति की चली है तो राजस्थान सरकार की इच्छा शक्ति को साधुवाद देना लाजमी होगा जंहा प्रदेश में समस्त शिक्षकों के उपर ‘‘एक नाम, एक काम व एक दाम’’ का सिद्धांत लागू होता इतना ही नही अभी सरकार ने कुछ दिनों पूर्व ऐसे ओवरएज अम्यर्थी जो शिक्षा संबंधी योजनाओं जैसे सर्व शिक्षा अभियान,लोक जुंबिश,शिक्षाकर्मी बोर्ड,राजीव गांधी पाठशाला,
डी.पी.ई.पी. में पिछले 8 -10साल से मानदेय पर अपनी सेवा दे रहे थे और ओवरएज हो गये है उनको सीधे को फायदा पहुंचाने के लिये एक नये कैडर ‘‘शिक्षा सहायक’’ का सृजन किया है ।

‘‘शिक्षा सहायक’’ के इन 9912 पदों पर भर्ती की प्रक्रिया जारी है,इन पदों के लिये न तो कोई परीक्षा होगी और न ही कोई इंटरव्यू,सिर्फ कक्षा 10 वी के परीक्षा के प्राप्तांकों का 70 प्रतिशत व अनुभव के अंकों का 30 प्रतिशत के द्वारा मेरिट लिस्ट बनाकर जल्दी ही मेरिट लिस्ट चस्पा कर दी जायेगी । साथ ही इस भर्ती के लिये सरकार की विभिन्न योजनाओं में काम करने वाले अम्यर्थी को ही पात्र माना जायेगा भले ही अब वह आयु सीमा पार कर चुका हो ।

10 वी पास इन ‘‘शिक्षा सहायक’’ का वेतनमान 5200-20200 ग्रेड पे 1850 रूपये होगा । साथ ही दो साल की परिवीक्षा काल के बाद आठ साल का अनुभव रखने वाले कर्मिकों को अतिरिक्त वेतनवृद्धि।

जबकि मध्यप्रदेश में स्नातकोतर बी.एड. वरिष्ठ अध्यापक (तथाकथित व्याख्यता ) का वेतनमान 4500-205000 ग्रेड पे 1900 रूपये । धन्य है राजस्थान सरकार
हम क्या करें ....... अजब एम.पी. गजब एम.पी. ।
शायद ये शेर किसी एम.पी.के शायर का होगा ....

यंहा दरख्तों के सायें में धूप लगती है ।
चलो -चले यंहा से उम्र भर के लिये ।

अनिल नेमा
आम अध्यापक
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