भोपाल। शनि जयंती के अवसर पर इस साल सर्वार्थ सिद्धि,अमृत सिद्धि और वट सावित्री अमावस्या आदि महायोगों के साथ रोहिणी नक्षत्र में शनिवार 8 जून को मनाई जाएगी। शनि जयंती के अवसर पर ऐसा महासंयोग पूरे सात साल बाद बना है।
इसके पहले वर्ष 2003 व 2006 में शनिवार को शनि अमावस्या का योग बना था। इस वर्ष शनि जयंती पर कई विशेष संयोग बन रहे हैं ,जो शनि से प्रभावित लोगों के लिए शुभ फलदायक होंगे।
आचार्य अशोक भारद्वाज के अनुसार जिन जातकों को साढ़ेसाती व अढ़ैया के प्रभाव के साथ ही शनि की महादशा व अंतर्दशा या जन्म कुंडली में शनि का विषम प्रभाव हो, उन्हें इस दिन शनिदेव का तिलाभिषेक अवश्य करना चाहिए। इसके लिए जातक व शनि भक्तों को मध्याह्न काल में सरसों का तेल, काली उड़द, काली तिल, कोयला चूर्ण से तिलाभिषेक और हनुमान जी, पीपल, बरगद के वृक्ष का भी पूजन करना चाहिए।
हनुमानजी को चमेली के तेल में सिंदूर मिलाकर विग्रह का लेपन करना शुभ रहेगा। वर्तमान में कन्या, तुला व वृश्चिक राशि के जातकों पर साढ़ेसाती व कर्क, मीन राशि वालों पर अढ़ैया का प्रभाव चल रहा है। यह दिन शनि साधकों के लिए पूजन के लिए विशेष है। पूजन-अर्चन व अभिषेक करने से शनिदेव की टेड़ी नजर से मुक्ति मिलेगी की संभावनाएं बढ़ेंगी।
