भोपाल। उत्तराखंड की तबाही में शाजापुर जिले से गए तीर्थयात्रियों को भारी नुकसान उठाना पड़ा। शाजापुर के 40 तीर्थयात्रियों का जत्था रवाना हुआ था, लेकिन इनमें से 33 यात्री अब भी लापता है। बोइंग विमान से सोमवार को भोपाल पहुंचे तीर्थयात्रियों ने बताया कि जत्थे में से हम सिर्फ सात ही सुरक्षित लौट पाए हैं।
शाजापुर से लौटे तीर्थयात्रियों के आंसू रुकने का नाम नहीं ले रहे थे। इनको लौटने की इतनी खुशी नहीं थी, जितनी अपने साथियों के लापता होने का दुख साफ झलक रहा था।
पाटीदार परिवार के तीन सदस्यों को ले डूबा कहर
शाजापुर के जत्थे के पाटीदार परिवार के सदस्य सदमे में हैं। इस परिवार से सिर्फ एक ही सदस्य लौट सका है। भोपाल पहुंचे अनोखी पाटीदार की पत्नी शकुंतला, छोटा भाई रमेश और रमेश की पत्नी पवित्रा की मौत हो गई है। अनोखीलाल सदमे में है। अनोखीलाल स्वयं भी केदारनाथ में जमीन धंसकने के से 200 फीट ने खाई में फंस गए थे। वे चट्टानों का सहारा लेकर बाहर निकले।
भोपाल का नहीं आया कोई
बोइंग विमान में राजधानी का एक भी तीर्थयात्री नहीं आया। शासन द्वारा विमान से प्रदेश के लोगों के आने की खबर लगने से तीर्थयात्रियों के परिजन भी विमानतल पहुंचे, लेकिन उन्हें यहां निराशा हुई। ये परिजन विमानतल पर शााम तक रुके रहे। विमान आने के एन मौके से पहले अधिकारियों ने इन्हें सूचना दी कि इस बार के जत्थे में भोपाल से गए तीर्थयात्री नहीं आ रहे हैं। इसके बाद वे घर लौटे। ये परिजन बोइंग का सुबह 11 बजे से इंतजार कर रहे थे। विमान तल पर पहुंचे विजय सिंह ने बताया कि सूचना मिली थी कि हरिद्वार से तीर्थयात्रियों को भेजा जा रहा है। इसी आस में यहां आया था। विजय सिंह के परिवार के दो सदस्य उत्तराखंड में लापता हैं।
जैसे हम लौट आए, वैसे ही सबको पार लगाए प्रभु
केदारनाथ की यात्रा पर इंदौर से गर्इं रुक्मिणी बाई ने बताया कि तबाही का मंजर ऐसा था कि जिसे बयां कर पाना संभव नहीं है।जैसे हम अपने घर लौट आए हैं, वैसे ही प्रभु सबको पार लगाए। रुक्मिणी ने कहा कि अभी राहत कार्य में और तेजी लाने की जरूरत है। हम तो यहां सुरक्षित आ गए हैं, लेकिन अभी वहां हजारों बेसहारा लोग फंसे हुए हैं। उन्होंने मप्र शासन के बोइंग विमान से भेजने की तारीफ करते अपील की शासन को उत्तराखंड की पहाड़ियों में फंसे लोगों की और अधिक ध्यान देना चाहिए। उन्होंने वहां के हालात बद से बदतर बताए। तमाम तीर्थ यात्री अभी भी फंसे हुए हैं।