भोपाल। बार बार सरकार के सामने हाथ फैला फैला कर पूरे प्रदेश में अध्यापकों की छवी भिखारियों की तरह हो गई है। सरकार ने अध्यापकों के नेताओं पर अपना पूरा नियंत्रण बनाए रखा है। आन्दोलन के नाम पर प्रदेश के अध्यापको के साथ सिर्फ छलावा किया जा रहा है। अब तक सरकार के साथ सैकड़ो वार्ताओं के दौर हो चुके है मगर नतीजा शुन्य है। अब सरकार से कोई बात नही होगी यदि सरकार को काई बात करनी है तो वो पहल करे।
उक्त बात अध्यापक कोर कमेटी ने अपने 9 जुन के कार्यक्रम में टीला जमाल पुरा भोपाल में कही। प्रदेश के अध्यापक नेताओं ने सीधे तौर पर इस बैठक में शिरकत नही कर अपने अपने प्रतिनिधि भेज कर हालात का जायजा दिया। शुरू से ही अध्यापक कोर कमेटी का लक्ष्य साफ रहा है उसी से प्रभावित होकर प्रदेश के हर जिले से आम अध्यापक यहा पहुंचा और साफ कर दिया कि उन्हे किसी नेता की जरूरत नही है।
अध्यापक कोर कमेटी की तरफ से बताया गया है कि वे सरकार को अपना फैसला लेने के लिए 15 जुन तक का समय दिया है। यदि इस बीच कोई फैसला नही आता है तो 22 जुन से अध्यापक सम्मान बचाओं रैली सिहोर से पैदल मार्च भोपाल तक करेगी । जहा से सरकार को स्पष्ट कर दिया जाएगा कि यदि सरकार अध्यापकों को लेकर संवेदनशील नही है तो हमे भी एसी सरकार से कोई रिश्ता नही रखना है।
अध्यापक कोर कमेटी किसी भी हाल में बच्चो की पढ़ाई को प्रभावित करने के मूड में नही है। निरिह और निर्दोष बच्चों को बेकसूर होने के बावजूद सजा मिलती है। पिछले 17 सालो में कई बच्चो का भविष्य चौहान हो चुका है जिसकी जवाबदारी सीधे तौर पर सरकारो की रही है।
अध्यापक कोर कमेटी के मिडिया प्रभारी से हुई बातचीत में एक बात सामने आई है कि हम इस आन्दोलन को लम्बा नही खीचेंगे .... सरकार के अहं और अध्यापको के स्वाभिमान के बीच चल रहे द्वंद के बीच बच्चो की पढ़ाई का नुकसान अब नही होगा।
शिक्षकों ने साफ किया है कि कटोरा लेकर बैठने की बजाए अब हम अपने स्वाभिमान की रक्षा करेंगे। शिक्षकों को उनका खोया सम्मान देने की जिम्मेदारी अब सरकार की है। अध्यापक कोर कमेटी ने एक सबसे अहम बात यह कही है कि समान कार्य समान वेतन को लेकर किसी भी नेता ने किश्तों पर समझोता करने की कोशिश भी की तो हम उसे अमान्य करते है। आम अध्यापको के इस खेमे में अब नेताओं के लिए कोई स्थान नही बचा है।