मंदसौर । मप्र के 23 हजार ग्राम पंचायतो में पदस्थ अल्पवेतनधारी पंचायत सचिव 52 हजार गांवो में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की सैंकडो योजनाओ को जनजन तक पंहुचाते है। 2250 रूपये के शर्मनाक मूल वेतन पर दिन रात काम करने वाला पंचायत सचिव आज की स्थिति मे परिवार चलाने की स्थिति में नही है।
प्रदेश के पंचायत सचिवों का कैडर जिले का है लेकिन वेतनमान नाम मात्र का है। मुख्यमंत्री की घोषणाओं पर अमल के लिये प्रदेश के 23 हजार पंचायत सचिव नजर लगाये बैठे है। सरकार के कंधे से कन्धा मिलाकर विकास को मूर्त रूप देने वाला पंचायत सचिव आज भी घोषणाओं के अमल की प्रतिक्षा में है।
उक्त आशय की जानकारी देते हुए पंचायत सचिव संगठन के प्रदेश अध्यक्ष दिनेश शर्मा ने बताया कि पंचायत सचिव व अध्यापक वर्ग 1 जिला कैडर के कर्मचारी हैं। जब दोनो एक ही कैडर में है तो वेतन मान में 80 प्रतिशत का अंतर नही होना चाहिए। संगठन ने मुख्यमंत्री के सचिव मनोज श्रीवास्तव से मांग की है कि मुख्यमंत्रीजी ने अध्यापक के लिये समान कार्य सम्मान वेतन देने की धोषणा का स्वागत किया है।
वहीं सरकार से मांग की है कि माननीय मुख्यमंत्री महोदय पंचायत सचिवो के लिये सहायक अध्यापक वर्ग 3 के समान देने की धोषणा की थी। जिसे शीघ्र अमल में लाया जाये। क्योंकि सरकार ने दोनो को एक ही कैडर लिया है और अध्यापको की तुलना में पंचायत सचिव सरकार का सारा काम दिन रात करते है।
संगठन ने मांग की है कि पंचायत सचिवो के लिये अध्यापक वर्ग 1 के समान वेतनमान निर्धारण कर आदेश जारी करे वही अंशदायी पेंशन, मृत्यु अनुग्रह राशि 1.00 लाख रूपये से बढाकर 2.00 लाख किये जाने की घोषणा व विभाग के पदों को 50 प्रतिशत पदों को पंचायत सचिवो से भरे जाने की घोषणा व पंचायत मुख्यालय पर आवास निर्माण की घोषणाओं पर अमल कर आदेश जारी किये जावें।
दिनेश शर्मा
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