भोपाल। एक जमाने में अपने परिजनों के बारे में शुभ-अशुभ सूचनाएं पाने के लिए तार यानी टेलीग्राम सेवा सबसे बेहतर माध्यम थीं, लेकिन आज के मोबाइल टेलीफोनी युग में इस सेवा की जरूरत नगण्य रह गई। ऐसे में सरकार ने 15 जुलाई से 160 बरस पुरानी टेलीग्राम सेवाओं को बंद करने का फैसला किया है। सरकार इस सेवा को अब समारोहपूर्ण विदाई देने की तैयारी में है। आज चाहें तो यादों में संजो कर रखने के लिए एक आखरी टेलीग्राम करके देख सकते हैं कि वो होता कैसा है।
दूरसंचार एवं आईटी मंत्री कपिल सिब्बल ने कहा, हम टेलीग्राम सेवाओं को काफी गर्मजोशी से विदाई देंगे। संभवत: आखिरी भेजा जाने वाला टेलीग्राम म्यूजियम में रखने लायक होगा। इसी तरीके से हम इसे समारोहपूर्ण विदाई दे सकते हैं।
प्रयोग के तौर पर पहली इलेक्ट्रिक टेलीग्राम लाइन कोलकाता और डायमंड हार्बर के बीच 1850 में शुरू हुई थी। अगले साल इसे ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के इस्तेमाल के लिए खोल दिया गया। 1854 में यह सेवा आम जनता के लिए खुल गई।
सार्वजनिक क्षेत्र की दूरसंचार कंपनी बीएसएनएल ने आमदनी तथा खर्च के भारी अंतर के मद्देनजर इस सेवा को बंद करने का फैसला किया है। टेलीग्राम सेवाओं से कंपनी की आमदनी सिर्फ 75 लाख रुपए रह गई है, जबकि इस सेवा को चलाने और इसके प्रबंधन पर खर्च 100 करोड़ रुपए बैठता है।
बीएसएनएल के एक अधिकारी ने कहा, पिछले वित्त वर्ष में टेलीग्राम सेवाओं के प्रबंधन की लागत 130 करोड़ रुपए रही, जबकि आमदनी एक करोड़ रुपए से भी कम थी। हमने डाक विभाग से विचार-विमर्श किया है और उनका कहना है कि अब संचार के बेहतर विकल्प उपलब्ध हैं।