नेताप्रतिपक्ष ने सीएम से पूछा: सिरोंज महोत्सव का औचित्य बताएं

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भोपाल। नेता प्रतिपक्ष श्री अजय सिंह ने सिरोंज महोत्सव पर सवाल उठाते हुए कहा कि एक और प्रदेश के सांस्कृतिक गौरव भारतींय आत्मा पं. माखनलाल चतुर्वेदी का मकान बिक गया और वहां व्यवसायिक काम्पलेक्स बन गया विश्व प्रसिद्ध गायक किशोर कुमार का मकान बिकने वाला है, इन धरोहरों की और संस्कृति विभाग उपेक्षा का भाव अपनाएं है वहीं सिरोंज महोत्सव पर करोड़ो खर्च कर मनोरंजन कार्यक्रम आयोजित करने में संस्कृति विभाग राजनीतिक दबाव मै रूचि ले रहा है।

श्री मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को लिखे पत्र में श्री अजय सिंह ने कहा कि चुनावी साल में अचानक सिरोंज में ही क्यों महोत्सव हुआ 230 विधानसभा इससे क्यों उपेक्षित है। उन्होंने कहा यह जनता के पैसों की बरबादी है।

नेता प्रतिपक्ष श्री अजय सिंह ने कहा कि सिरोंज महोत्सव में जिस तरह कलाकारों का जमघट लगाया गया और करोड़ो रूपये फूके गए उससे कौन सी संस्कृति और कलाओं का संरक्षण हुआ और इससे सिरोंजवासियों सहित प्रदेश को क्या लाभ हुआ इस सवाल का मुख्यमंत्री जवाब दें।

श्री अजय सिंह ने कहा कि अगर सिरोंज सांस्कृतिक रूप से महत्वपूर्ण स्थल था तो उसकी याद चुनावी साल में ही क्यों आई। इस महोत्सव में हेमामालनी सहित उनकी अभिनेत्री बेटियों को उपकृत करने के लिए निरंतर कार्यक्रमो में बुलाना क्या स्वयं के राजनीतिक हित को साधना नहीं है? सिर्फ इसके लिए शासन का करोड़ो रूपये व्यय हो इसे कतई सहन नहीं किया जा सकता।

नेता प्रतिपक्ष श्री अजय सिंह ने कहा कि सिरोंज में मीका सिंह, अनूप जलोटा अमित कुमार का आर्केस्ट्रा का आयोजन क्या संस्कृति विभाग के मूल उद्देश्य की पूर्ति करता है या सिर्फ संस्कृति विभाग एक मनोरंजन कार्यक्रमों के आयोजन करने की संस्था मात्र बनकर रह गया है। नेता प्रतिपक्ष श्री अजय सिंह ने यह भी जानना चाहा कि क्या सिरोंज महोत्सव आयोजन का निर्णय शासन स्तर पर हुआ है।

नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि एक और सिर्फ अपने राजनीतिक हितों की पूर्ति के लिए फिजूल आयोजन किए जा रहे है दूसरी और हमारे प्रदेश के गौरव पंडित माखनलाल चतुर्वेदी, किशोर कुमार की यादें और धरोहर बिक जाती है उनके आवास व्यवसायिक परिसर बन जाते है लेकिन संस्कृति विभाग जिसका मूल काम अपने इन सांस्कृतिक गौरव की यादों को संरक्षित करना है सुरक्षित रखना उसकी और उसका कोई ध्यान नहीं है।

नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि इस तरह के आयोजनों से संस्कृति विभाग की निरंतर गारिमा कम होती जा रहीं है और संस्कृति विभाग राजनीतिक दबावों में अपने मूल काम से भटक गया है।

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