भोपाल। मध्यप्रदेश हो या छत्तीसगढ़ संविदा शिक्षक वर्ग 3 या सहायक अध्यापक के साथ हमेशा ही अन्याय होता आ रहा है। एक बार फिर छत्तीसगढ़ शासन ने सहायक अध्यापकों के साथ सौतेला व्यवहार किया है। पुनरीक्षित वेतनमान में अध्यापक एवं सहायक अध्यापक के वेतन में भारी अंतर है, जबकि वरिष्ठ अध्यापक और अध्यापक के बीच बहुत कम।
रह रह कर यह विषय लगातार उठता रहता है कि जब तीन श्रेणियां हैं तो तीनों के बीच वेतन का अंतर समान प्रतिशत में होना चाहिए, लेकिन ऐसा होता नहीं है। प्रारंभ से ही यह अन्याय होता आ रहा है और एक बार फिर यही अत्याचार दिखाई दे रहा है।
छत्तीसगढ़ शासन द्वारा जारी पुनरीक्षित वेतनमान के अनुसार वरिष्ठ अध्यापक को 25497 रुपए प्रतिमाह वेतन मिलेगा जबकि उससे एक श्रेणी नीचे अध्यापक को 25309 रुपए। दोनों श्रेणियों के बीच अंतर मात्र 188 रुपए का है। इसे प्रतिशत में नापें तो 1 प्रतिशत भी पूरा नहीं होता।
इसके इतर सहायक अध्यापक का पुनरीक्षित वेतनमान 14248 रुपए तय किया गया है। इससे एक श्रेणी उच्च में 25309 है अर्थात दोनों श्रेणियों के बीच वेतन का अंतर 11061 रुपए आ रहा है जो करीब पचास प्रतिशत के आसपास बनता है।
सवाल यह उठता है कि जब श्रेणी 1 व 2 के बीच मात्र 1 प्रतिशत का अंतर है तो श्रेणी 2 व 3 के बीच 50 प्रतिशत का क्यों, जबकि हड़ताल में शामिल होने वालों में सबसे ज्यादा संख्या श्रेणी 3 की ही थी और परिवार में आर्थिक संघर्ष की स्थिति से भी श्रेणी 3 के कर्मचारी ही जूझ रहे हैं।
क्या इस चीटिंग के खिलाफ एक बार फिर लम्बी लड़ाई लड़नी होगी और दूसरा सवाल यह कि क्या इस लड़ाई में श्रेणी 1 व 2 के कर्मचारी श्रेणी 3 का साथ देंगे। बड़ा सवाल यह भी है कि नेताओं ने इस समझौते को स्वीकार किया ही क्यों ?