राकेश दुबे@प्रतिदिन। डॉ मनमोहन सिंह पुन: आसाम से राज्य सभा सदस्य चुन लिए गये । बधाई देने का मन बनाया तो पिछले सारे कार्यकाल आँखों के सामने घूम गये । आसाम में बंगलादेशी घुसपैठ , देश में यत्र-तत्र-सर्वत्र घोटाले , सांसद और सदन के नेता रूप में सिर्फ उपस्थिति जैसे दृश्य आँखों सामने घूम गये और उनके परिणामों के बारे में सोचते हुए मन कहने लगा कि मनमोहन जी तो मजबूरी में सांसद थे ,हैं और रहेंगे । प्रधानमंत्री होंगे के नहीं यह कोई नहीं बता सकता ।
सांसद के अधिकार और विशेषाधिकार होते हैं। अभी तक कोई ऐसी गवाही नहीं मिलती कि डॉ मनमोहन सिंह जी ने आगे बढकर अपने इस अधिकार का प्रयोग किया हो । कांग्रेस ने जिस कारण से भी उन्हें प्रधानमंत्री बनाया हो, देश ने उन्हें अभूतपूर्व प्रधानमंत्री ही माना । आज भी कोई ऐसा निर्णय उनके खाते में नहीं है, जिसका प्रादुर्भाव का श्रेय सिर्फ उनका हो ।
उदारीकरण के लाभ कम और हानि के बाबत चर्चा से लेकर असंख्य विवाद जरुर उनके साथियों की बदौलत उके खाते में जरुर जमा है । बेचारे बेबस थे । आगामी चुनाव में ऊंट किस करवट बैठेगा, पता नहीं तब भी वे राज्यसभा सदस्य जरुर रहेंगे , उम्मीद है तब वे कुछ करें आसाम के लिए और देश के लिए ।