मंदसौर। आंगनवाड़ी कार्यकर्ता के पद पर नौकरी दिलाने का लालच देकर सचिव द्वारा महिला के साथ ज्यादती का मामला सामने आया है।
कोतवाली पुलिस के मुताबिक पाड़लिया लालमुंहा निवासी 30 वर्षीय महिला ने शिकायत दर्ज कराई कि डीगांव का सचिव रमेश बोराना जनवरी के प्रथम सप्ताह में मिला। उसने खुद की पहुंच बताकर नौकरी लगाने की बात कही। महिला ने खुद को आठवी तक पढी लिखी होना बताया।
महिला ने बताया की सचिव कई बार स्टेशन रोड की एक होटल के रूम 18 व 22 व जंगल में ले जाता और ज्यादती करता रहा। पुलिस ने सचिव के खिलाफ धारा 376,506, 3(1) के तहत प्रकरण दर्ज किया है।
देहव्यापार और 376 का ही धंधा करती है वो महिला: पंचायत सचिव संगठन का आरोप
पंचायत सचिव संगठन के जिला उपाध्यक्ष, पंचायत सचिव रमेश बोराना पर एक सामान्य आवेदन पर बिना जांच के धारा 376 के तहत प्रकरण दर्ज करने पर जिले के पंचायत सचिवों में भारी रोष है। पंचायत सचिव संगठन ने पुलिस अधीक्षक मनोहर सिंह वर्मा को ज्ञापन सौंपकर मांग की है कि एक ब्लेक मेलर महिला की शिकायत पर एक शासकीय कर्मचारी पर बिना जांच के एफआईआर दर्ज करना नियम विरूद्ध है।
इस पूरे खेल में सचिव संगठन को नीच दिखाने का राजनैतिक षडयंत्र है, षडयंत्रकारी को पर्दे के पीछे से बाहर लाया जायेगा और पंचायत सचिव के साथ अन्याय नहीं होने दिया जायेगा।
उक्त आशय की जानकारी देते हुए पंचायत सचिव संगठन के प्रदेश अध्यक्ष दिनेश शर्मा, जिलाध्यक्ष किशोर सिंह गुर्जर, ब्लॉक अध्यक्ष प्रदीप व्यास, जिला संयोजक रमेश माली ने बताया कि उक्त महिला देह व्यापार में लिप्त है और लोगों से पैसे एंट कर छह वर्ष से अपनी रोजी रोटी चला रही है।
स्वयं शिकायत कर्ता महिला के पिता व भाई ने पुलिस चौकी दलौदा में लिखित आवेदन मय शपथ पत्र प्रस्तुत किया है कि महिला घर व ससुराल से फरार है और लोगों से पैसे एंठने का काम करती है व देह व्यापार में लिप्त है।
इतना ही नहीं ग्राम हनुमंति, पाल्या, गुराडि़या, अमलावद के कई प्रतिष्ठित लोगों के विरूद्ध बलात्कार की झूठी रिपोर्ट करके पैसे ऐंठे गये है। फरियादी महिला ने 15 तारीख को थाने में कई मीडिया कर्मियों के सामने 10 लाख की मांग भी की है। संगठन ने पुलिस अधीक्षक से मांग की है कि पंचायत सचिव पूर्णतः निर्दोष है उसे षडयंत्रकारियों ने झूठा षडयंत्र रचाकर फंसाया गया है। सचिव रमेश बोराना उक्त महिला को जानता तक नहीं है।
सिटी कोतवाली में जांचकर्ता अधिकारी श्री खान की भूमिका भी संदेहस्पद है। पुलिस अधीक्षक की निगरानी में वरिष्ठ अधिकारियों से उक्त प्रकरण की जांच करायी जाये एवं महिला द्वारा अभी तक हरिजन थाना, सिटी कोतवाली, दलौदा चैक, थाना भावगढ आदि में कितनी शिकायत लोगों की की गई और उस पर क्या कार्यवाही हुई है एवं छह वर्ष से ये अपने पति के घर व मायके को छोडकर कहां व किसके साथ रह रही है।
इन बिन्दुओं की जांच की जाकर वस्तु स्थिति साफ होना चाहिए। पुलिस अधीक्षक से पंचायत सचिव संगठन ने अपील की है कि जिस प्रकार के गरोठ के प्रकरण में दूध का दूध और पानी का पानी जांच में हुआ है उसी प्रकार इस प्रकरण में भी निष्पक्ष जांच की जाकर न्याय किया जाये व प्रकरण का खात्मा किया जाये ।