आरडीएम कर रही है राजधानी को बंधक बनाने की तैयारी

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भोपाल।  राष्ट्रीय दलित महासभा ((आरडीएम)) एवं आदिवासी अधिकार आंदोलन पिछले लम्बे समय से राजधानी को ब्लॉक कर देने की तैयारियों में जुटे हुए हैं और अब वो अपनी तैयारियों के अंतिम चरण में हैं। उनकी योजना है कि 2 लाख से ज्यादा भूमिहीन एक साथ राजधानी में अपनी मांगे पूरी हो जाने तक प्रदर्शन करें। वो घर के लिए पट्टे की जमीन व खेती के लिए 5 एकड़ भूमि की मांग कर रहे हैं।

आरडीएम के राष्ट्रीय महासचिव संजय भारती ने बताया कि भोपाल में होने वाले इस बड़े आंदोलन के लिए पिछले चार माह से आरडीएम एवं आदिवासी अधिकार आंदोलन के लोग प्रदेश भर के भूमिहीनों के संपर्क में जुटे हैं। ये लोग गांव-गांव जाकर भूमिहीनों का सर्वे करा रहे हैं। उनके हक के लिए आवाज उठाने तैयार कर रहे हैं।

इसका असर दिखना शुरू भी हो गया है। संभागीय मुख्यालय सागर पहुंचे लोगों को किसी बस, कार आदि की तैयारियों से नहीं लाया, बल्कि यह लोग स्वयं अपने खर्च पर तेज धूप में पसीना बहाते यहां पहुंचे थे। उनकी मांग है कि प्रदेश के दलित, आदिवासी, शोषित, वंचित एवं अल्पसंख्यकों को मूलभूत सुविधाएं मिलें।


1 जनवरी को रीवा से शुरू हुई भूमि अधिकार यात्रा

रीवा के रामचरण आदिवासी के मुताबिक भूमिहीनों की आवाज बुलंद करने 1 जनवरी को रीवा से पद यात्रा शुरू की गई, जो सतना, पन्ना, टीकमगढ़, छतरपुर, दमोह होते हुए सागर पहुंची। यात्रा अब तक 1227 गांवों में पहुंच चुकी हैं। इसमें सागर जिले के 56 गांव भी शामिल हैं। पदयात्रा में शामिल लोग 3500 किलोमीटर का सफर तय कर चुके हैं। सर्वे में यह सामने आया है कि 5300 लोग ऐसे हैं, जिन्हें शासन ने पट्टे तो दिए हैं, लेकिन उस पर कब्जा किसी दबंग ने जमा रखा है। रीवा से शुरू हुई इस पदयात्रा में रामप्रसाद आदिवासी, छोटू आदिवासी, गायत्री अहिरवार, मुन्नी केवट, रामसनेही चौधरी लगातार शामिल हैं। वह 3500 किलोमीटर का फासला तय कर चुके हैं। सागर से यह पदयात्रा रायसेन, विदिशा होते हुए भोपाल पहुंचेगी।

मुख्यमंत्री ने भुला दिया आश्वासन

पदयात्रा में रीवा से ही शामिल राष्ट्रीय दलित महासभा के राष्ट्रीय महासचिव संजय भारती ने प्रदेश के मुख्यमंत्री पर वादा खिलाफी के आरोप भी लगाए। उन्होंने कहा कि 18 अक्टूबर 2012 को आगरा में एकता परिषद की रैली के दौरान शिवराज सिंह चौहान ने घोषणा की थी कि 15 दिन में सभी भूमिहीनों को पट्टे और जमीन दी जाएगी। लेकिन ऐसा अब तक नहीं किया गया है।

पदयात्रा एक नजर में
  • 1 जनवरी को रीवा से हुई शुरुआत।
  • 1227 गांवों के भूमिहीनों से किया संपर्क।
  • 879 दलित-आदिवासी परिवार सागर जिले के 56 गांवों में ही ऐसे मिले, जो भूमिहीन हैं।
  • 3500 किलोमीटर सफर पदयात्रा में तय किया जा चुका है।
  • 5300 लोग अब तक ऐसे मिले जिनके नाम पट्टे तो हैं, पर कब्जा दबंगों का है।


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