भोपाल। पूर्व केंद्रीय मंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता असलम शेर खान का मानना है, कर्नाटक चुनाव के दौरान मुख्यमंत्री पद के लिए किसी एक नेता का नाम सामने नहीं रखने की कांग्रेस की रणनीति शायद मध्य प्रदेश में काम नहीं करे, क्योंकि यहां के सामाजिक और राजनीति गणित कर्नाटक से भिन्न है।
खान ने कहा ''कर्नाटक के हालात मध्य प्रदेश से बिल्कुल अलग हैं। राज्य के लोगों के साथ साथ वहां के पूर्व मुख्यमंत्री बीएस येदयुरप्पा भी बीजेपी से निजात पाना चाहते थे और इसलिए उन्होंने कांग्रेस को वोट दिया।''
पूर्व ओलिंपिक खिलाड़ी असलम ने कहा ''मध्य प्रदेश में कांग्रेस को दो स्तर पर अपनी लड़ाई लड़नी होगी। इसे एक तरफ तो ग्रामीणों के बीच साफ सुथरी छवी रखने वाले शिवराज सिंह चौहान जैसे सरल, विनम्र और मृदुभाषी मुख्यमंत्री से लड़ाई लड़नी होगी और दूसरी तरफ राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के नेटवर्क के समर्थन से भी टक्कर लेनी होगी।''
उन्होंने कहा, ''मेरी राय में तो 'चौहान प्रभाव' को काटने के लिए कांग्रेस के पास केंद्रीय ऊर्जा राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) ज्योतिरादित्य सिंधिया का एकमात्र चेहरा है और पार्टी को उन्हें आगे करने में जरा भी नहीं हिचकना चाहिए, क्योंकि यहां के हालात कर्नाटक से पूरी तरह भिन्न हैं।''
हालांकि जहां तक संघ के नेटवर्क को काटने की बात है, तो उन्होंने इस पर बिना वक्त गंवाए ही कहा कि कांग्रेस के महासचिव और राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह इकलौते इंसान हैं जो बीजेपी-आरएसएस को अंदर से जानते है और वह जमीनी स्तर पर इसकी काट करने में भी सक्षम हैं।