भाजपा "राम" आते रहे, "राम" निकाले जाते रहे

राकेश दुबे@प्रतिदिन। रामजेठमलानी को दूसरी बार भाजपा ने बाहर का रास्ता दिखा दिया है।उनके रहने और न रहने का भाजपा में कोई अर्थ है या नहीं भाजपा जाने , पर राम जेठमलानी के कहने के कई अर्थ होते हैं।

इनके कहने और इनको सहने से ही भाजपा में हमेशा कुछ न कुछ हुआ है । वैसे भी ये "राम जी" भाजपा को जनसंघ से विरासत में नहीं मिले थे। आपातकाल के दौरान रामनाथ गोयनका द्वारा एकत्र  समूह के एक सदस्य के कारण भाजपा में प्रवेश मिला था।

काबिल वकील और दूर की कौड़ी सी दलील,जैसी विशेषता के कारण कई बार इनके तर्क कभी पार्टी के गले नहीं उतरे। अपने अलग अंदाज के कारण इनकी मुठभेड़ें यत्र-तत्र -सर्वत्र होती रही। अपनी व्यवसायिक साख के कारण बड़े मुकदमों में कभी भाजपा का साथ  तो कभी अप्रत्याशित रूप से किसी का भी साथ दिया और वरिष्ठता के कारण उच्चतम न्यायालय में भी इनकी भिडंत हुईं।

भाजपा से इस बार की बिदाई ,रंजीत सिन्हा की नियुक्ति को लेकर लिखे गये पत्र को लेकर बताई जा रही है, लेकिन अंतर्कथा कुछ -कुछ प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार के नाम को लेकर चली बयार के साथ बह रही है। गुजरात सरकार के वकील के साथ इन्होने नरेंद्र मोदी सर्वोत्तम उम्मीदवार घोषित किया था।

पहली बार अटलबिहारी वाजपेयी के खिलाफ कांग्रेस के समर्थन से निर्दलीय उम्मीदवारी के कारण बाहर किया गये थे। फिर पता नहीं क्यों? बुलाया गया, नवाजा गया , संसद में भेजा गया और अब पार्टी के सर्वोच्च संगठन संसदीय बोर्ड को उनके तर्क गले नहीं उतरे और सदस्यता समाप्त। पता नहीं कब क्यों और कैसे राम जी  फिर आ जाएँ कोई कुछ नहीं कह सकता। वैसे भाजपा रूठों को मनाती है, जिन्हें बाहर कर देती है,उनकी वापसी मुशिकल से होती है, कई  उदहारण है। " राम जी " के मामले अलग हैं , वह भाजपा जाने या उसके राम।


  • लेखक श्री राकेश दुबे वरिष्ठ पत्रकार एवं प्रख्यात स्तंभकार हैं। 
  • संपर्क  9425022703 

  • भोपाल समाचार से जुड़िए
    कृपया गूगल न्यूज़ पर फॉलो करें यहां क्लिक करें
    टेलीग्राम चैनल सब्सक्राइब करने के लिए यहां क्लिक करें
    व्हाट्सएप ग्रुप ज्वाइन करने के लिए  यहां क्लिक करें
    X-ट्विटर पर फॉलो करने के लिए यहां क्लिक करें
    फेसबुक पर फॉलो करने के लिए यहां क्लिक करें
    समाचार भेजें editorbhopalsamachar@gmail.com
    जिलों में ब्यूरो/संवाददाता के लिए व्हाट्सएप करें 91652 24289

    #buttons=(Ok, Go it!) #days=(20)

    Our website uses cookies to enhance your experience. Check Now
    Ok, Go it!