भोपाल। लोकायुक्त पुलिस के छापे में 10 हजार रुपए की रिश्वत लेते रंगे हाथों गिरफ्तार हुए तहसीलदार राकेश खजूरिया सरकारी मेहरबानी के चलते लगातार पद पर बने हुए हैं। उनके खिलाफ सरकार ने कोई कदम नहीं उठाया।
विदिशा के सूत्र बताते हैं कि पिछले साल तहसीलदार राकेश खजूरिया की बढ़ती रिश्वतखोरी से परेशान होकर उनके खिलाफ लोकायुक्त में शिकायत दर्ज कराई गई थी। तय योजना के तहत छापामार कार्रवाई की गई और राकेश खजूरिया चलती ट्रेन में लेनदेन करते रंगे हाथों पकड़े गए। बाद में ट्रेन को रुकवाकर उनके तमाम कपड़े भी उतारकर जांच की गई।
इतनी जबर्दस्त हंगामा होने के बावजूद शासन ने तहसीलदार के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की। लोकायुक्त छापे में रंगेहाथों पकड़े जाने के बावजूद तबादला तक नहीं किया गया। अब हालात यह हो गए हैं कि तहसीलदार राकेश खजूरिया का कार्यालय में जहां पहले रिश्वत दबी जुबान से मांगी जाती थी, अब ऐसे मांगी जा रही है जैसे आफीसियल काम चल रहा हो। हर काम के एवज में लोगों को रिश्वत की रकम ऐसे बताई जाती है जैसे सरकारी शुल्क वसूला जा रहा हो।