राकेश दुबे@प्रतिदिन। आखिर देश के उच्चतम न्यायालय ने केंद्र सरकार से पूछ ही लिया है कि आम आदमी की सुरक्षा अब मिलेगी ? यह सवाल पूछते -पूछते आम आदमी परेशान था । कितने ही लोगों ने सूचना के अधिकार का इस्तेमाल किया और कितनों ने यहाँ वहां पूछा सबको एक ही जवाब मिलता रहा । आप सुरक्षित है ।
सवाल यह है कि कैसे और कौन ? सडक पर पैदल चलने से लेकर जीवन के अंतिम पडाव तक आम भारतीय अपने को असुरक्षित मान रहा है , सिर्फ सुरक्षित हैं ,वे जिनके राजनीतिक या व्यापारिक रसूख हैं । नूराकुश्ती करता प्रतिपक्ष आम आदमी के अधिकार के नाम पर अपने लिए सुरक्षा बटोरता है ।
भारत सरकार हो या प्रांतीय सरकारें दोनों सुरक्षा के नाम पर कर वसूलती हैं । न राज्य सरकार जीवन को सुरक्षित बनाने के प्रयास आरती है और न केंद्र । कौन सा राज्य नहीं है जहाँ आम आदमी सडक हादसों में मर नहीं रहा ? कौन सा राज्य है जहाँ यु पि ऐ और एन डी ऐ के संरक्षण में चलते वित्तीय संस्थानों ने आम आदमी की जमा पूंजी को नहीं लूटा हो? कौन सा स्थान है देश में जहाँ नारियों के साथ दुष्कृत्य नहीं हो रहे ? कौन सा राज्य है जहाँ आम आदमी शांति से जीवनयापन कर रहा हो ? देश की कौन सी ऐसी सीमा है जहाँ से घुसपैठ नहीं हो रही ? जो हो रहा है उससे आप हम बे खबर है आप और हम टैक्स देते है और इससे सबसे कड़ी सुरक्षा पक्ष और प्रतिपक्ष के नेताओं और चंद पूंजीपतियों को मिलती है । हल ही में दी गई है , कोई शोर नहीं कोई विरोध नहीं ।
आम आदमी की सुरक्षा को लेकर आम आदमी पार्टी के नाम से एक और प्रयोग सामने आया है और २० १ ४ के पहले कुछ और प्रयोग सामने आयेंगे । पहले के प्रयोगों के नतीजे धोखे के रूप में सामने है । अब और खाने के लिए तैयार हो जाइये , क्योंकि आपका स्वभाव नहीं बदलेगा और उनका बदलना नहीं है । वे सेवा की बात करते आयेंगे और पांच साल तक सेवा करायेंगे । सावधान हो जाये , देश से उन्हें कुछ लेना देना नहीं है , उन्हें उनकी सुविधा और सुरक्षा से मतलब है आप अपनी सोचिये
