राहुल गांधी फैसला लेने में कुछ ज्यादा ही समय ले लेते है: दिग्विजय सिंह

नई दिल्ली। गांधी परिवार के अलावा कांग्रेस का सर्वाधिक चर्चित चेहरा और पार्टी महासचिव दिग्विजय सिंह मानते हैं कि संगठन के फैसलों में अब तेजी की जरूरत है।

अपने बेलौस बयानों, मुस्लिम हितों के हिमायती और संघ परिवार के खिलाफ बेहद आक्रामक रुख अपनाने वाले दिग्विजय अब सत्ता के दो केंद्रों वाले अपने बयान से पीछे हटे हैं। वह कहते हैं कि इसमें सच्चाई न होने के बावजूद सत्ता के दो केंद्रों वाली धारणा बनी, जिसका नुकसान हुआ।

मध्य प्रदेश से लेकर केंद्रीय राजनीति में फिलहाल मौजूं मुद्दों पर उन्होंने 'दैनिक जागरण के पत्रकार राजकिशोर' से खुलकर बात की। पेश हैं उनसे बातचीत के अंश:-

-सत्ता के दो केंद्रों वाले बयान से आपने खुद को ऐसे समय में क्यों अलग कर लिया, जब केंद्र के दो मंत्रियों को हटाने के मुद्दे पर यह बात और मुखर रूप में सामने आई। कांग्रेस अध्यक्ष के हस्तक्षेप के बाद मजबूरन प्रधानमंत्री को दोनों को हटाना पड़ा।

-ऐसा नहीं है। दोनों का सामूहिक फैसला था। पहले भी मेरा कहने का मतलब स्पष्ट था कि एक ही शक्ति केंद्र होना चाहिए.. और एक ही है। केवल भ्रम की स्थिति साफ होनी चाहिए। यह बहुत दिनों से मीडिया और विपक्ष द्वारा चलाया जा रहा है कि कांग्रेस में सत्ता के दो केंद्र हैं। इससे यह धारणा बन गई थी कि सत्ता के दो केंद्र बिंदु हैं।

-अश्विनी कुमार व पवन बंसल के इस्तीफे के बाद सरकार में तमाम मंत्रालय खाली हो गए हैं और कांग्रेस संगठन में भी फेरबदल का इंतजार है। क्या खाली पद भरे जाएंगे?

-यह सही कि कई खाली पद हैं। समय-समय पर सरकार और पार्टी में फेरबदल की चर्चा आती रहती है। अंतिम फैसला नेतृत्व करेगा।

-क्या अनिर्णय की यह स्थिति संगठन-सरकार के लिए घातक नहीं है?

-मैं सहमत हूं। निर्णय जल्दी होने चाहिए। मगर स्वाभाविक है कि क्षेत्रीय दल फैसले जल्दी कर सकते हैं। राष्ट्रीय पार्टी के लिए इसमें तमाम मुश्किलें आती हैं।

-राहुल गांधी ने उपाध्यक्ष बनने के साथ ही संगठन के स्वरूप और फैसलों के तरीके में बदलाव के संकेत दिए थे, क्या उसका कोई फर्क दिख रहा है?

-थोड़ा-बहुत तो फर्क पड़ा है, लेकिन उसमें कुछ और तेजी आनी चाहिए। कुछ फैसलों को टाला नहीं जा सकता।

-फिर भी देरी..?

-देखिए.. इस बारे में राहुल का काम करने का एक तरीका है। जब तक वह पूरी तैयारी नहीं कर लेते, तब तक निर्णय नहीं लेते। काफी खोजबीन कर ही वह निर्णय लेते हैं।

-आतंकवाद के आरोप में बंद मुस्लिम युवकों के लिए फास्ट ट्रैक कोर्ट बनाने की आपकी मांग मान ली गई। आपको लगता है कि इससे अल्पसंख्यक तबके की कांग्रेस से नाराजगी दूर होगी?

-बात साफ है कि ऐसे सारे मामलों में हर वर्ग का विश्वास कायम रखना है। अनुसूचित जाति-जनजाति और विशेषकर अल्पसंख्यक समुदाय के मन में ऐसी कोई भावना पैदा नहीं होनी चाहिए कि उन्हें न्याय नहीं मिल रहा।

-आप पर विपक्ष तुष्टीकरण का आरोप लगाता है?

-विपक्ष से आपका मतलब यदि भाजपा से है तो उसकी बेचैनी स्वाभाविक है। वह सारी वारदातें जिनमें संघ के लोग पकड़े गए चाहे मालेगांव-दो ब्लास्ट, मक्का मसजिद, अजमेर, मोडासा या समझौता एक्सप्रेस हो, सबमें पहले मुस्लिम लड़कों को पकड़ा गया था। इस वजह से यह धारणा बनी कि ये सारे काम मुसलमान करते हैं जबकि करने वाले कोई और थे। निर्दोष लोगों को पकड़ा गया। इसलिए जरूरी है कि ऐसे हालात न बनें, जिसमें अल्पसंख्यकों को लगे कि उनके साथ अन्याय किया जा रहा है।

-मालेगांव विस्फोट में गिरफ्तार साध्वी प्रज्ञा ठाकुर की जेल में तबीयत बिगड़ने पर संघ परिवार आपकी चुप्पी पर सवाल उठा रहा है कि उन्हें सिर्फ मुस्लिमों की चिंता है और क्या प्रज्ञा का मानवाधिकार नहीं है?

-निश्चित तौर पर प्रज्ञा ठाकुर का भी मानवाधिकार है। मैंने जो कहा तथ्यों के आधार पर कहा और वह साबित भी हुआ है। जहां तक जेल में प्रज्ञा की तबीयत खराब होने की बात है, उन्हें वह सारी सुविधाएं मिलनी चाहिए जो अन्य आरोपी को मिलती हैं।

-आपके गृह राज्य मध्य प्रदेश में भाजपा को बेदखल करने के लिए क्या आप आगे बढ़कर जिम्मेदारी लेंगे?

-मेरा स्वयं वहां से विधानसभा चुनाव लड़ने का मन नहीं है। मध्य प्रदेश की राजनीति में काफी दिन रहा हूं और मेरा मानना है कि नए लोगों को मौका मिलना चाहिए। मगर जहां पार्टी कहेगी वहां प्रचार करूंगा।

-कांग्रेस के पास मध्यप्रदेश में कोई चेहरा नहीं है?

-प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष कांति लाल भूरिया, सीएलपी अजय सिंह राहुल, कमलनाथ, ज्योतिरादित्य सिंधिया, सुरेश पचौरी और सत्यव्रत चतुर्वेदी जैसे नेता हैं, जिनके अपने-अपने प्रभाव के क्षेत्र हैं। हम लोग सही से काम करें तो सामूहिक तौर पर ही कामयाबी मिल सकती है।

-कांग्रेस ज्योतिरादित्य सिंधिया को मध्यप्रदेश में आगे कर रही है। नेता विपक्ष वहां अजय सिंह रहे हैं। क्या इससे गुटबाजी या भ्रम नहीं पैदा होगा?

-निश्चित तौर पर सिंधिया में प्रतिभा है और अभी बहुत जिम्मेदारी का पद उन्हें दिया गया है और उनसे बेहद उम्मीदे हैं। अजय सिंह भी नेता प्रतिपक्ष के रूप में अच्छा काम कर रहे हैं।

-आपके पुत्र जयवर्धन सिंह क्या चुनावी मैदान में उतरेंगे?

-जयवर्धन अभी पढ़ाई पूरी करके जून में आने वाले हैं। यदि उन्हें अवसर मिला तो विधानसभा का चुनाव लड़ सकते हैं।

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