स्थानीय निकायों में कार्यरत कम्प्यूटर आपरेटरों को कब मिलेगी स्थायी नियुक्ति

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सुशील द्विवेदी@खुलाखत। अपनी-अपनी संस्था मे पूर्ण निष्ठा एवं ईमानदारी से बडी मेहनत के साथ अपने कार्यो का निर्वहन कर रहे (कम्प्यूटर आपरेटरों) बन्धुओं इस बात मे कोई संदेह नही है कि हमारे जन प्रिय मुख्यमंत्री माननीय मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान के द्वारा चलाई जा रही समस्त योजनायें प्रत्येक जन के लिये हितकारी है एवं जिनका लाभ प्रदेश के लोग ले रहे है।

आज म0प्र0 शासन ही प्रत्येक योजनाओं एवं शासन के समस्त कार्यो का क्रियान्वयन कम्प्यूटर के माध्यम से बडी ही सुगमता से हो रहा है, जिनमें आनलाईन समाधान, लोक सेवा प्रदाय गारंटी अधिनियम, समस्त प्रकार की पेंषन योजनायें जैसी महत्वपूर्ण व्यवस्थायें कम्प्यूटर के माध्यम से सुलभ और हितकारी साबित हुई है और जिस कारण से मध्यप्रदेश राज्य सम्पूर्ण भारत मे इस तरह की सेवा देने वाला पहला राज्य बना है।

बन्धुओं वास्तव मे इसका कारण हम ही लोग है जिसके कारण ऐसा संभव हो पाया है। शासन का प्रत्येक कार्य कम्प्यूटर से होता है उसको क्रियान्वित करने वाले हम है तो इसकी धुरी तो हम ही हुए ना परन्तु बडा ही अफसोस का विशय है कि आज हम ही लोग उपेक्षित है। हमारे वारे मे कही भी कोई नही सोच रहा है।

म0प्र0 षासन की रीढ ई-गर्वनेंस को सम्पादित करने वाले हम कम्प्यूटर आपरेटर्स की पंचायत तो दूर हमारे बारे मे आज तक किसी ने जानने की कोषिष नही की कि आखिर कैसे ये लोग इतने कम वेतन मे अपना और अपने परिवार का भरण पोषण कर रहे है। भाईयों आज तक किसी भी विभाग मे कम्प्यूटर आपरेटर के लिये कोई पद सृजन नही किया गया है न ही इस ओर कोई ध्यान दे रहा है आखिर क्यों ?

हमें क्यो इतना उपेक्षित रखा जा रहा है आज सभी विभागों मे बंधुआ मजदूरों की तरह या कलेक्टर दर पर कार्य कराया जा रहा है जिनमें भी वेतन विसंगतियां बहुत है। और आखिर मे सारा कार्य हमे ही करना पडता है चाहे रात करो या दिन। कोई अवकाश नही सप्ताह के सातों दिन 10 से 12 घन्टे काम करना ही है। नही करें तो काम से निकले जाने का भय। करे तो क्या करें। आज के समय में अपने परिवार को पालने के लिये समझौते तो करने पडते है।

कुछ साथियों के साथ भेदभाव की दृश्टि से देखते होगें। कंही-कंही की परिशद के कुछेक लोग आये दिन धमकी भी देते रहते होगें, कि निकाल कर बाहर कर देगें। माननीय मुख्यमंत्री जी से समय-समय पर केवल आष्वासन ही मिला हैं ठोस कार्यवाही नहीं। अब तो ऐसा लगता हैं, कि इस महगाई में जीवन यापन करना असंभव हो रहा है। अपने परिवार का पालन पोशण करना मुष्किल हो रहा है। बच्चों को अच्छी षिक्षा देना दुःस्वपन है। अब तो ऐसा लग रहा है।

ऐसे जीवन से मौत बेहतर है। माननीय मुख्यमंत्री जी को उक्त योजनाओं के संचालन एवं क्रियान्यवयन की सफलता पर धन्यवाद ज्ञापित करते हुये सडकों पर भीख मागना षुरु करदें। क्योकि उक्त योजनाओं के संचालन में महती प्राथमिक सीढी जिनके माध्यम से उक्त योजनाओं का संचालन एवं क्रियान्वयन किया जा रहा है की ओर कोई भी ध्यान नहीं दिया जा रहा है।

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