राकेश दुबे@प्रतिदिन। स्टेंडर्ड एंड पुअर्स ने भारत को चेतावनी दी है यदि भारत ने अपनी आर्थिक दशा ने सुधारी तो वह भारत का नाम कबाड़ की सूची में डाल देगी । इस चेतावनी का किसी और पर असर हो या न हो मनमोहन जी पर जरुर होगा ।
इस कम्पनी के अनुमान से भारत के वित्तमंत्री रहते समय उन्होंने कुछ फार्मूले बनाये थे जिन पर सरकार चल रही है । भारत सरकार का वित्त मंत्रालय जोर जोर से कह रहा है की देश की सेहत पर इसका कोई असर नहीं होगा । देश की हालत तो दुबले और दो आषाढ जैसी हो रही है । घोटालों के कारण विदेशी निवेश गिर रहा है और महंगाई के कारण देश की जनता सरकार को कोस रही है । मनमोहन जी बेचारे क्या करें ?
अर्थशास्त्री होने का यह तो अर्थ नहीं हुआ कि सारी चीजों पर उनका नियन्त्रण हो । वे तो सह भी नहीं पा रहे और कह भी नहीं पा रहे । सारे घोटाले उनके आस पास हुए उन्हें तो अपने कोयला मंत्रालय तक का पता नहीं रहा । जैसे तैसे जाँच को निपटाना था , कानून मंत्री के जोश ने सब पानी फेर दिया । रेल का खेल अभी जारी है , मंत्री को बचाते तो कैसे ,जब सब कुछ उनके खिलाफ था।
देश के मामलों का तो विदेशी निवेश पर फर्क पड़ता है । ऐसी कम्पनियों की भविष्यवाणी से भी राय बनती है जिनके मापदन्डों को आप पहले से तरजीह देते रहे हैं । भारत एशिया की तीसरी बड़ी अर्थव्यवस्था है , इसके बारे में किसी एक कम्पनी की राय से अधिक अहमियत विश्व बैंक और अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष की राय का है । अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष का मानना है कि २०१४ में भारत की विकास दर ६.२ तक पहुंच जाएगी , लेकिन पूरे एशिया और यूरोप की मंदी का प्रभाव भारत पर भी होगा । अब बताएं मनमोहन जी क्या करें, देश में लोग उनकी आयु तक गलत गिन रहे हैं । हैं न बेचारे ।