कक्काजी से घबराई सरकार आधादर्जन मुकदमे वापस लेगी

भोपाल। मध्‍यप्रदेश की सत्‍ता पर काबिज भारतीय जनता पार्टी अपने ही एक पूर्व किसान नेता शिवकुमार शर्मा कक्‍काजी की लोकप्रियता से खौफ खाकर उन पर वर्ष 2012 में लगाये गये 9 मामलों में से आधा दर्जन से ज्‍यादा मामले वापिस लेने जा रही हैं। बताते है कि राज्‍य के गृह विभाग ने इसकी तैयारी कर ली है, और ऊपर से भी इसकी मंजूरी मिल गयी हैं।

प्रकरण वा‍पसी का आदेश किसी भी दिन जारी हो सकता है। इधर कक्‍काजी से जब इस संबंध में राजकाज डॉट कॉम ने चर्चा की तो उन्‍होंने प्रकरण वापसी की जानकारी से इंकार किया हैं।

गौरतलब है कि 6 मई 2102 को रायसेन जिले के बरेली तहसील में किसान आंदोलन के दौरान पुलिस की गोली से किसान की मौत हो गयी थी। इस आंदोलन के बाद राज्‍य सरकार ने एक उच्‍च स्‍तरीय जांच की घोषणा की थी। साथ ही सात मई और 9 मई को अलग-अलग प्रकरणों में धारा 147, 148, 149, 307, 308, 323, 322, 341, 353, 427, 435 एवं 506 के अंतर्गत कुल 9 मामले दर्ज किये थे। इसमें 6 मामले पुलिस तथा 3 मामले गन्‍ने, चाय एवं कोल्‍ड ड्रिंक्‍स का व्‍यवसाय करने वालों की ओर से दर्ज कराये गये थे।

क्‍या था मामला...

उल्‍लेखनीय है कि बरेली के मानपुर गेहूं उपार्जन केंद्र पर एक किसान द्वारा कथित रूप से आत्महत्या करने की घटना के बाद सैकड़ों किसानों का आक्रोश फूट पड़ा था और वे कथित रूप से हिंसा पर उतारू हो गए थे। आरोप था कि बारदानों की कमी के कारण किसानों के गेहूं की खरीद का कार्य प्रभावित हो रहा था, इस कारण किसान ने आत्महत्या कर ली थी, जबकि प्रशासन का दावा था कि उसकी मौत जहरीला पदार्थ खाने से हुई है। किसानों द्वारा तोडफ़ोड और आगजनी के बाद पुलिस ने लाठीचार्ज किया, आंसू गैस के गोले छोड़े और बाद में हवाई फायर किए। पहले धारा 144 लगाई गई, बाद में पूरे बरेली में कफ्र्यू लगा दिया गया था। घटना की रात्रि को ही सीएम हाउस में पत्रकारों से चर्चा करते हुए मुख्यमंत्री ने गोली से मारे गए किसान परिवार को 2 लाख रुपए का मुआवजा देने की घोषणा की थी। यहां यह भी बता दें कि कांग्रेस की ओर से सीएम के इस्तीफा दिये जाने की मांग भी की गयी थी।

क्‍यों लिये जा रहे प्रकरण वापिस

सूत्रों ने बताया है कि राज्‍य शासन स्‍तर पर सरकारी जांच एवं मानवाधिकार आयोग की टिप्‍पणी के बाद अब शिवकुमार शर्मा एवं अन्‍य पर से करीब 6-7 मामले वापिस लिये जाने की तैयारी पूरी हो गयी है। प्रकरण वापसी के पीछे जो अनुमान लगाया जा रहा है, वह यह है कि इसी वर्ष विधानसभा के चुनाव होने है, और घटना के बाद जहां कक्‍काजी को भारतीय किसान संघ से बर्खास्‍त कर दिया गया है, वहीं कक्‍काजी ने अपनी नई पार्टी किसान मजदूर प्रजा पार्टी बना ली है। माना जा रहा है कि उनकी पार्टी विधानसभा चुनाव भी लड़ने जा रही है। ऐसे में इसका नुकसान भाजपा को होने की संभावना है। प्रकरण वापिस लेकर राज्‍य सरकार कक्‍काजी को अप्रत्‍यक्ष रूप से मनाने का प्रयास कर रही है।

कक्‍काजी ने कहा सरकार कटघरे में

जहां इस मामले में राज्‍य शासन की ओर से अधिकृत रूप से कोई भी कुछ कहने से बच रहा है, वहीं दूसरी ओर जब प्रकरण लेने के संबंध में जब कक्‍काजी से पूछा गया तो उन्‍होंने इससे अनभिज्ञता जाहिर करते हुए तीखे लहजे मे कहा कि वैसे तो प्रकरण वा‍पसी के पूर्व संबंधितों की सहमती ली जाती है, लेकिन अभी तक इस संबंध में मुझे कोई जानकारी नहीं है। उन्‍होंने कहा कि इस बारे में मेरी सहमति नहीं है। अगर ऐसा होता है तो मैं इसके विरोध में न्‍यायालय में प्रकरण दर्ज करूगां। उन्‍होंने आरोप लगाया कि इस घटना के लिए तत्‍कालीन पुलिस अधीक्षक आईपी कुलश्रेष्‍ठ जिम्‍मेदार है। उन्‍होंने 40-50 किसानों की मौजूदगी में गोली चालन किया। शर्मा ने दावा किया कि तत्‍कालीन एसपी के खिलाफ कई मामले है, जिनका खुलासा शीघ्र किया जाएगा।  कक्‍काजी ने यह भी कहा कि मानवाधिकार आयोग एवं राज्‍य सरकार की जांच भी सरकार के खिलाफ ही है। दोनों से ही सरकार कटघरे में खड़ी हो रही है।

अभी चल रहा आंदोलन

शिवकुमार शर्मा कक्‍काजी ने कहा कि भारतीय किसान संघ के बेनर तले दिसम्‍बर 2010 में आंदोलन किया गया था, तब राज्‍य सरकार ने 183 मांगों में से 50 मांगों को पूरा करने का वादा किया था। अभी तक इस संबंध में किसी भी प्रकार का निर्णय नहीं लिया गया हैं। किसानों की मांगों को लेकर पिछले चार दिन से राजधानी में भारतीय किसान संघ और किसान-मजदूर प्रजा पार्टी का आमरण अनशन भी चल रहा है, जो निर्णायक स्थिति तक चलेगा।

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