मध्यप्रदेश की राजधानी सहित 8 जिलों में नक्सली हमलों का खतरा

भोपाल। पड़ौसी राज्य छत्तीसगढ़ में नक्सलवादियों द्वारा की गई बड़ी वारदात मप्र के लिए भी खतरे की घंटी मानी जा रही है। पुलिस मुख्यालय नए सिरे से नक्सल प्रभावित जिलों की समीक्षा में जुट गया है। केंद्र सरकार ने बालाघाट को ही नक्सल प्रभावित माना है जबकि यहां सिंगरौली सहित 8 जिले बारूद के ढेर पर हैं। भोपाल सहित करीब एक दर्जन से ज्यादा जिलों में नक्सली अपनी आमद दे चुके हैं।

जगदलपुर के समीप झीरमघाट में कांग्रेस नेताओं के काफिले पर सुरंग विस्फोट और चारों तरफ से गोलियों की बारिश कर 27 लोगों को मौत की नींद सुलाने की घटना से मप्र के सीमावर्ती जिले भी सहम गए। यहां के अनेक जिले मानो बारूद के ढेर पर हैं, छिपने और पनाह पाने के उद्देश्य से अमूमन यहां नक्सल गतिविधियां दर्ज हो चुकी हैं।

पीएचक्यू ने भी अपने खुफिया तंत्र को सक्रिय करने के साथ ही छत्तीसगढ़ की सीमा से जुडे़ जिलों में सुरक्षा की समीक्षा शुरू कर दी है। ऐसे खुफिया संकेत हैं कि नक्सली मप्र में पनाह पाने के लिए घुस सकते हैं, इसलिए तंत्र की कसावट पर जोर है। छत्तीसगढ़ की घटना के बाद मप्र सरकार एक बार फिर केन्द्र के समक्ष सिंगरौली सहित प्रदेश के नक्सल प्रभावित जिलों को सिक्यूरिटी रिलेटेड एक्सपेन्डीचर [एसआरई] में शामिल कराने के लिए अपनी मुहिम तेज करेगी। इस संबंध में पहले भी प्रस्ताव भेजे जा चुके हैं।

प्रदेश के नक्सल प्रभावित जिले
मप्र में घटनाओं, गतिविधियों और भौगोलिक दृष्टि से शासन ने 8 जिलों को नक्सल प्रभावित माना है। इनमें बालाघाट, सीधी, सिंगरौली, मंडला, डिंडौरी, शहडोल, अनूपपुर और उमरिया शरीक हैं। इनमें बालाघाट के बाद सिंगरौली ही सर्वाधिक नक्सल प्रभावित माना गया है लेकिन केन्द्र सरकार ने एसआरई में केवल बालाघाट को ही नक्सल प्रभावित जिले का दर्जा दिया है। एसआरई के तहत आने वाले जिले में नक्सलवाद को खत्म करने सामाजिक और प्रशासनिक स्तर पर प्रयास किए जाते हैं। इसके लिए केन्द्र सरकार अलग से आर्थिक मदद करता है।

यहां भी हो चुकी आमद

राज्य में आठ जिलों के अतिरिक्त भोपाल व जबलपुर सहित कुछ और भी जिले हैं जहां नक्सली अपनी आमद दर्शा चुके हैं। जबलपुर, कटनी, सिवनी, छिंदवाड़ा और बैतूल में भी कई तरह के संगठन काम कर रहे हैं। मालवा-निमाड़ के आदिवासी जिले धार-बड़वानी में नक्सली से हटकर दूसरे तरह की गतिविधियां सामने आ चुकी हैं। इसलिए सुरक्षा के नाते इन जिलों को भी सतत निगरानी के लिए रखा गया है।

पुलिस महानिदेशक नंदन दुबे ने बताया कि पीएचक्यू में नक्सल एवं विशेषष अभियान से जुड़े एडीजी स्तर के अधिकारी एस के पाण्डे को सुरक्षा और समीक्षा के लिए बालाघाट-सिंगरौली रवाना कर दिया है।

दिल जीतें, समस्याएं हल करें

शरद चंद्र बेहार पूर्व मुख्य सचिव मप्र ने बताया कि इस मामले को राजनीतिक दृष्टि से नहीं देखा जाना चाहिए। पुलिस, बंदूक और तथाकथित विचार से इसका समाधान नहीं निकल सकता। इसके लिए सभी दल संवेदनशीलता के साथ इन क्षेत्रों के मूल बाशिंदों का दिल जीतें। उन्हें बुनियादी सुविधाएं दिलाएं और राजनीतिक मुद्दा न बनाकर समस्याओं को हल करने में जुटें।

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