राकेश दुबे@प्रतिदिन। अखिलेश यादव के बाद शिवराजसिंह के खून में उबाल आ गया और आज बदतमीजी के कारण विजय शाह का इस्तीफा हो गया| राजाराम पाण्डेय ने तो किसी के गाल की बात की थी| विजय शाह तो नौ रात्रि को भी होली समझ बैठे थे और झाबुआ से मुख्यमंत्री के घर तक जा पहुंचे थे|
इस्तीफा कम है, इनके विरुद्ध तो मुकदमा चलना चाहिए| विजय शाह की बातें तो शीलहरण की पर्याय थी| वह भी तब, जब आधे से अधिक देश देवी पूजा में लगा है| भारत ही विश्व में एकमात्र देश है जो प्रकृति और नारी का पूजक है, नवरात्रि के इस अवसर पर उस शक्ति की आराधना होती है जो दुष्टों का संहार करती है| अब दुष्ट जुबान से भी हमला करते हैं |
सडकों की तुलना किसी अभिनेत्री के गाल से करने वाले राजाराम पाण्डेय पहले व्यक्ति नहीं थे|दूसरे व्यक्ति थे बिहार में जिस व्यक्ति ने इस जुमले का इस्तेमाल सबसे पहले किया था, उसके खिलाफ बिहार की तत्कालीन मुख्यमंत्री ने इस कारण कार्यवाही नहीं की थी, वह मुख्यमंत्री का पति था| अजित पंवार जनता के घोर अपमान के बाद भी सिर्फ इस कारण बचे हैं कि वे शरद पंवार के भतीजे हैं| उपवास और प्रायश्चित से कोई टिप्पणी वापिस नहीं होती|
विजय शाह का इस्तीफा रात में ही लेकर उन्हें अपने मंत्रिमंडल से बाहर करने वाले शिवराज सिंह को अब जरा आगे भी देखना चाहिए| उनके मंत्री विधानसभा में संसदीय कार्यवाही के दौरान कैसे-कैसे करतब दिखाते हैं| विधानसभा की कार्यवाही में ऐसे कई प्रसंग हैं| सामान्य शिष्टाचार तब और अधिक निर्वहन करना होता है, जब आप किसी लोक कार्यालय के अधिष्ठाता हों या सार्वजनिक जीवन में कभी कोई आपकी मिसाल दे| अन्य राज्यों के मुख्मंत्रियों को भी सीखना चाहिए, क्योकि यह भी राजधर्म का अनिवार्य अंग है|