मनरेगा मे भूत, विकलांग और शासकीय कर्मचारी कर रहे हैं मजदूरी

अनूपपुर। (राजेश शुक्ला)। पूरे प्रदेश में मनरेगा के नाम पर अधिकारी से लेकर निचले स्तर के कर्मचारी भी पूरी तरह संलिप्त हैं और इसी के चलते पंचायत के सचिव से लेकर जनपद के सीईओ साल भर में अघोषित करोड़ों की संपत्ति कर लेते हैं।

इसी कारण मनरेगा में मजदूरों के नाम पर मरे हुये व्यक्ति का नाभी मास्टर रोल में लिखकर बैंक अधिकारियों से मिलकर  आपस में इस राशि का बंदरबांट कर लेते हैं वैसे भी यह देश जुगाड में चलता है, इसी जुगाड से देश प्रदेश की सरकारें भी चलती है, तो फिर भला प्रदेश के अधिकारी कर्मचारी क्यों न जुगाड़ से शासकीय योजनाओं को चलायें। जब ऊपर वाले ही जुगाड़ में रहते है तो नीचे वालों का जुगाड लाजमी है। मजे की बात तो यह है कि मनरेगा में भ्रष्टाचार के लिये पंचायत सचिव व जनपद सीईओ मिलकर इसमें कोई नया तरीका निकालकर मनरेगा की राशि को आसानी से निकालकर गुलछर्रे उडाते हैं।

जिले के पुष्पराजगढ जनपद पंचायत के ग्राम कंचनपुर के  एक दो नही अपितु ऐसे कई भूतों ने महात्मा गांधी रोजगार गारंटी में काम किया है और बकायदे इन्हें मजदूरी भी मिली है। ये भूत नुमा मजदूरों ने पथ वृक्षा रोपण, निर्मल नीर का कुंआ, ग्रेवल मार्ग, बनवाया और बैंक में खाता खुलवाकर  अपनी  मजदूरी भी निकाल ली। इस बात का खुलासा कंचनपुर के उपसरपंच एवं समस्त ग्रामीणों ने मुख्यमंत्री सहित सभी निचले अधिकारियों को की। और यह आरोप लगाया कि ग्राम कंचनपुर में लगभग १२ लाख रूपये गबन हुआ है। जहां ग्रामीणों से काम तो करा लिया गया और उन मजदूरों की मजदूरी का भुगतान नही हुआ करता है। 

होता भी है तो मजदूरों को डरा धमकाकर कि इंजीनियर साहब कम मूल्यांकन कर कुएं की मजदूरी से ही आंकलन कर देते हैं। जहां २५-२५ रूपये की मजदूरी दी गई है। वास्तव में मस्टर रोल में ग्रामीण मजदूरों का नाम तो रहता है जो एम.आई.एस. होने के लिये जनपद में दे दी जाती है और इंटरनेट पर जॉब कार्ड धारकों के नाम से एम.आई.एस. हो जाती है। फिर जनपद के इंजीनियर मूल्यांकन कर देते हैं लाखों में। मगर जब बैंक में मजदूरों का नाम जाता है तो मस्टर रोल के उलट अपना और अपने साथियों के नाम पर बैंक में लिस्ट भेज दी जाती है। जहां बैंक के मैनेजर या एकांटेंट से मिली भगत कर उस राशि का आहरण कर आपस में बाट ली जाती है। जनपद पंचायत के मस्टर रोल के आधार पर पूर्ण मूल्यांकन की राशि का योग बैंक को भेज देती है और बैंक से दूसरी लिस्ट जो बैंक में सरपंच सचिव द्वारा जमा की जाती है उसी के आधार पर राशि आहरित कर ली जाती है।

इतना ही नहीं मजदूरी करने वालों में मृतक, विकलांग, नौकरी पेशा व्यक्ति का नाम शामिल है।   कंचनपुर के ग्रामीणों ने बतासया कि ऐसे बहुत से लोग है जो कई वर्ष पूर्व इस दुनिया से चले गये अथवा शासकीय सेवा में कार्यरत हैं उन्हें  भी मनरेगा का मजदूर मानकर मस्टर रोल में दर्ज कर लिया गया  है। और पंचायत के सचिव सरपंच मिलकर मस्टर रोल में दर्ज व्यक्ति की राशि बैंक के अधिकारियों से मिलकर निकल लेते है।  इसमें लगभग ४५ लोगों के ऐसे नाम है जो इस दुनिया मे नहीं हैं, विकलांग हैं, शासकीय सेवक है वह भी हैं। इसमें सरपंच ने अपने बडे पिता जी के नाम पर लगभग ४९४०० की राशि निकाल है जो कृषि कार्य करते हैं। 

सरपंच ने अपने छोटे भाई के नाम पर ८५१००, मामा के नाम पर  ६२५००, दूसरे छोटे भाई के नाम पर ७५००० इसी तरह से सरपंच और सचिव द्वारा अपने सगे संबंधियों  के नाम साठगांठ कर शासकीय राशि में गबन किया है। इतना ही नहीं इनके द्वारा ग्रामसभा की फर्जी बैठक कर कई प्रस्ताव पारित कर लिये हैं औ बैंक के अधिकारियों से मिलकर फर्जी चेक काटकर बैंक से राशि आहरण कर ली है जिसमे १३ जुलाई १२ को ३८९९६ रूपये ओमशिवाय के नाम काटा गया और इसे सतपुडा क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक से आहरित किया गया। इसी तरह से रमाकांत जयसवाल स्टेशनरी सफ्लायर के नाम पर ५ हजार रूपया, सरपंच व सचिव पद के नाम पर ८२००२, ५००० रूपये इसी प्रकार से कई लोगो के नाम से राशि आहरण कर ली गई है।

केन्द्र सरकार भले लाख जुगत कर ले कि रोजगार गारंटी योजना की राशि सीधे ग्रामीण मजदूरों के खाते में जाये, परंतु अधिकारी कर्मचारी व ग्राम पंचायत के सरपंच, सचिव अपने लिये कोई रास्ता निकाल ही लेते हैं।
कंचनपुर में ही रोजगार गारंटी योजना के तहत् निर्मल नीर कूप निर्माण जो कुआ सार्वजनिक होता है और आबादी के बीच में कूप निर्माण कराना होता है मगर कूप निर्माण हुआ भी तो वह २ किलोमीटर दूर नाले में जहां कुंआ का दर्शन तो नही मिलेगा मगर आपको नाले से सटा हुआ टंकी जरूर मिल जायेगी। जिसमें नाले का पानी आता है। जो गंदगी साथ लेकर बहती है, जिससे लोग बीमार होते रहते हैं। रोजगार गारंटी योजना में निर्मल नीर कूप निर्माण व कपिलधारा जैसी योजनायें होती है जिसमें शासन को एक कुंए में १ लाख ३५ हजार रूपये का कुंआ निर्माण कराना होता है। फिर टंकी १ लाख ३५ हजार की हास्पद लगता है। कंचनपुर में लगभग २९ कुंए बनाने थे या तो बने नही और बने भी तो अधूरे ।

ग्रामीण जब अधिकारियों को शिकायत करते हैं तो वही गोल मोल जवाब देकर ग्रामीणों को चलता कर दिया जाता है। इससे परेशान होकर ग्रामीणों ने  अपनी बात जिले से लेकर मुख्यमंत्री तक से गुहार लगाई। ग्रामीणों ने बताया कि इसके लिये हम ७-८ माह से कार्यालयों के चक्कर लगाते रहे परंतु कार्यवाही के नाम पर हमें कुछ नही मिला और हम अपने आप को ठगा महशूस करते रहे। ग्रामीणों ने यह भी बताया कि इसी शिकायत हम  जनपद पंचायत पुष्पराजग$ढ के सी.ई.ओ. ए.के. भरतद्वाज के पास किये थे परंतु उन्होंने जांच करने के बजाय उल्टे हमे ही दोषी माना । उन्होंने कुंआ व अन्य निर्माण कार्यों को देखा तक नहीं बल्कि हम आदिवासियों को फटकार लगाकर  कार्यवाही करने का डर दिखाया।

इन्होंने कहा
पहले मैं उस रिपोर्ट को देख लेता हॅंू अगर जरूरी हुआ तो मैं दुबारा जिले से जांच करवा कर दोषी व्यक्ति के विरूद्ध सक्त कार्यवाही की जायेगी। चाहे फिर इसमें कोई अधिकारी ही क्यों न हो।
तेजस्वी एस.नायक
सी.ई.ओ. जिला पंचायत अनूपपुर

मेरे पास अभी शिकायत नहीं आई है, परंतु मैंने सुना है वहां का उपसरपंच गलत कर रहा है। शिकायत आने पर कार्यवाही की जायेगी।
अरूण भरतद्वाज
सी.ई.ओ जनपद पंचायत पुष्पराजगढ़


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