भोपाल। प्रदेश कांग्रेस के मीडिया विभाग के अध्यक्ष मानक अग्रवाल ने आज जारी बयान में कहा है कि एक समान योग्यता रखने वाले व्यक्तियों में इस आधार पर फर्क नहीं किया जा सकता कि वे दो अलग-अलग जातियों के हैं। अगर ऐसा कोई फर्क किया जाता है, तो संविधान की मूल भावना के भी विपरीत है।
आपने कहा है कि राज्य सरकार की पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी ने जो संभव नहीं है-वही संभव कर दिखाया है। कंपनी द्वारा सामान्य वर्ग के इंजीनियरों के मानदेय की तुलना में आदिवासी वर्ग के इंजीनियरों को 2000 रूपये कम मानदेय दिया जा रहा है, जबकि दोनों वर्गों के इंजीनियर एक जैसे डिग्रीधारी हैं।
श्री अग्रवाल ने कहा है कि पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी ने जनवरी 2013 में सहायक यंत्री (यांत्रिकी) के पद पर आदिवासी वर्ग के 13 इंजीनियरों को 24 हजार रूपये माहवार मानदेय तथा एक हजार रूपये के अन्य भत्तों पर नियुक्त किया था।
इसके एक महीने पूर्व अर्थात दिसम्बर 2012 में इसी कंपनी ने सामान्य वर्ग के 10 सहायक यंत्री नियुक्त किये थे, जिनको 26 हजार रूपये माहवार मानदेय और एक हजार रूपये अन्य भत्तों के बतौर दिये जा रहे हैं। इसका सीधा-सीधा अर्थ यह हुआ कि विद्युत वितरण कंपनी ने आदिवासी इंजीनियरों की योग्यता और कुषलता सामान्य वर्ग के इंजीनियरों से कमतर मानकर उनके मानदेय में दो हजार रूपये की बड़ी कटौती की है।
इस शर्मनाक भेदभाव की निंदा करते हुए कांगे्रस के मीडिया प्रमुख ने सरकार से मांग की है कि वह बतावे कि आदिवासी वर्ग के इंजीनियरों को हर माह 2000 रूपये के मानदेय से वंचित क्यों किया जा रहा है ? आपने आदिवासी इंजीनियरों को उनकी नियुक्ति की तारीख से 26 हजार रूपये माहवार मानदेय स्वीकृत करने की मांग की है।