उपदेश अवस्थी@लावारिस शहर। बधाई हो शिवराज, मध्यप्रदेश की जमीनी कांग्रेस को कार्पोरेट कांग्रेस बनाने की प्रक्रिया शुरू हो गई है। राहुल गांधी आ रहे हैं। अब एक नए कल्चर में काम शुरू होगा और काम खतम होने से पहले ही चुनाव खतम हो जाएंगे। स्वभाविक है कांग्रेस की ओर से शिवराज को मिलने वाली बचीखुची चुनौती भी खत्म।
मध्यप्रदेश में धार आ रहे कार्पोरेट कांग्रेस के वाइस चैयरमेन राहुल गांधी का वर्कप्लान आ गया है। वो सबसे पहले अपनी टीम को एक्सपोजर देंगे। उनकी बातों को ध्यान से सुनने की एक्सरसाइज करेंगे ताकि कांग्रेसियों को लगे कि उन्हें सुना जा रहा है। यह कार्पोरेट कल्चर का पहला रूल है 'करो या मत करो, लेकिन सुनो बड़े गौर से, ताकि वो शिकायत ना कर सके'।
इसके बाद एनालिसिस होगा और फिर शुरू होगा पर्सनालिटी डवलपमेंट प्रोग्राम। जिस मध्यप्रदेश में कांग्रेस बीघाओं में बंटी है उसे अब एक्सेल शीट पर एकजुट करने की कोशिश की जाएगी। पीपीटी के जरिए मध्यप्रदेश में कांग्रेस की पॉवर का प्रेजेंटेशन होगा। चापलूस, फर्जी और झूठे नेता इस लड़ाई में बाजी मारेंगे और एक बार फिर यूपी की तरह कांग्रेस दूसरे दर्जे पर खिसक जाएगी। फिर भी भूरिया बचे रहेंगे, क्योंकि ठीकरा तो राहुल के सर ही फूटना है।
यह होना है, यही होगा। यह भविष्यवाणी नहीं दावा है, क्योंकि मध्यप्रदेश कांग्रेस में चल रही कबड्डी और राहुल गांधी की वर्किंग स्टाइल कतई मेल नहीं खाते। यहां कांग्रेसी ही राहुल गांधी को चूना लगाएंगे और आखिरी दिन तक पीपीटी पर कांग्रेस बहुमत बनाए रखेगी।