पहली दफा नहीं बहके 'रंगीले शाह'

भोपाल। मध्य प्रदेश का आदम जाति कल्याण मंत्री कुंवर विजय शाह पहली दफा नहीं बहके हैं। यदि भाजपा के सूत्रसंचालक ठीक से ध्यान देते तो शायद हालात यह नहीं बनते, क्योंकि रंगीले शाह तो बहुत पहले से ही बैतूकी बयानबाजी करते हैं जिसमें असंवैधानिक, अव्यवहारिक एवं अश्लील टिप्पणियां शामिल हैं।

उन्होंने 15 अप्रैल को झाबुआ में लड़कियों के एक समर कैम्प में अश्लिल और अशोभनीय टिप्पणियों की हद कर दी। मंच पर मौजूद एक नाम की 2 महिला नेताओं को देख कर उसने कहा :

‘‘लगता है कि झाबुआ में एक के साथ एक फ्री मिलती है।’’ फिर मंच पर बैठी लड़कियों की ओर संकेत करते हुए  बोला,‘‘पहला-पहला मामला कभी नहीं भूलता...लड़कियां समझ ही गई होंगी। यह चीज ही ऐसी है।’’ इस पर बच्चों ने जब ठहाके लगाए तो उसने कहा, ‘‘बच्चे भी समझदार हो गए हैं।’’

उसने महिलाओं से यह तो कहा ही कि ‘‘अगर नहीं हंसोगी तो सहायता राशि नहीं मिलेगी।’’ लड़कियों को टी-शर्ट बांटते समय वह बोला, ‘‘इनको 2-2 दे दो लेकिन मुझे यह नहीं पता कि ये इनके नीचे क्या पहनती हैं।’’

उसने लड़कियों को अपना यह संस्मरण भी सुनाया, ‘‘एक बार जब मैं खंडवा में था तो मैंने भाभी जी (मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की पत्नी श्रीमती साधना सिंह) से कहा, भैया के साथ तो रोज जाती हो, कभी देवर के साथ भी चलो।’’

बस यही बयान ​'रंगीले'शाह को ले डूबा। इस कहानी में श्रीमती साधना सिंह का जिक्र नहीं आता तो शायद भाजपा एक बार फिर वही सबकुछ करती जो वो पहले से करती आ रही है। अपने 'कमीने' मंत्रियों की हरकतों को नजरअंदाज:—

इससे पहले भी 'रंगीले शाह' की फूहड़ टिप्पणियों व बेहूदगियों की लम्बी फेहरिस्त है :

इसी वर्ष जनवरी में इन्होने यह कह कर विवाद खड़ा कर दिया था, ‘‘स्कूलों में पढऩे वाली लड़कियों की सुरक्षा की जिम्मेदारी उनके माता-पिता की है, सरकार की नहीं। अत: लड़कियों के माता-पिता लिख कर दें कि अगर उनकी बेटियों के साथ कुछ हो जाता है तो इसके लिए सरकार जिम्मेदार नहीं होगी।’’

कुछ समय पूर्व एक सरकारी कर्मचारी की पत्नी ने आरोप लगाया था कि उसके पति ने उस पर कुंवर विजय शाह के साथ ‘संबंध’ बनाने के लिए दबाव डाला और इंकार करने पर उसे तंग किया जाने लगा।

दामिनी गैंग रेप कांड के तुरंत बाद उन्होंने एक वर्ग के विरुद्ध आपत्तिजनक टिप्पणी की और बड़ी संख्या में अपने परिवार के सदस्यों के साथ बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में मौज-मस्ती करने चले गए।

अब भले ही मंत्री पद गंवा चुके हैं लेकिन कुंवर विजय शाह  की अकड़ अभी तक कायम है। उसका कहना है कि वह ‘‘अपने पद को लात मार कर’’ आए है तथा उसके बयानों को तोड़-मरोड़ कर पेश किया गया है।

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