यहां तो पुलिस विभाग ने ही कर डाला अतिक्रमण, अब न्याय किससे मांगे

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अनूपपुर(राजेश शुक्ला)। यदि कोई व्यक्ति किसी दूसरे व्यक्ति की जमीन पर कब्जा कर ले तो तत्काल राहत की मांग करते हुए पीड़ित पुलिस विभाग के पास जाता है परंतु यदि पुलिस विभाग ही किसी की जमीन पर कब्जा कर डाले तो। यहां हालात कुछ ऐसे ही हैं। पुलिस और वनविभाग ने निजी जमीन पर कब्जा कर डाला। 

भूमि मालिकों ने अपने भूमि के बदले भूमि की मांग कर रहे हैं परंतु अतिक्रमणकारी पुलिस एवं वन विभाग इनकी नहीं सुन रहा है। कोतमा एसडीओपी कार्यालय एवं स्टाफ के रहने के लिये आवास के साथ खेल परिसर बना है। यह भूमि केदार प्रसाद पिता स्व. भैयालाल निवासी पुरानी बस्ती कोतमा का है जिसे पुलिस विभाग ने वर्षो से कब्जा कर रखा है और इस भूमि पर बने पुलिस विभाग का कार्यालय व आवास बिना किसी रूकावट के बनकर इस पर कार्य हो रहा है। 

वहीं भूमि मालिक केदार को इनके द्वारा आश्वासन दिया जाता है कि आपको मुआवजा दिया जायेगा, परंतु आज तक मुआवजा नही मिला है। इससे व्यथित होकर भूमि मालिक अपनी भूमि वापस चाहता है। कारण घर की आर्थिक स्थिति काफी कमजोर है और बच्ची की शादी के लिये उसे धन की आवश्यकता है। परंतु पुलिस विभाग के लोग उसकी स्थिति को समझ नहीें रहे है और उसे बेवजह परेशान कर रहे हैं। इनकी बेरूखी कहीं भूमि मालिक को कोई कडा कदम उठाने को मजबूर न हो जाये नहीं तो इस भूमि पर कब्जा करने वाले लोगों को जवाब देना मुश्किल हो जायेगा। वहीं  आज भी यह भूमि राजस्व रिकार्ड में केदार प्रसाद पिता स्व. भैयालाल के नाम दर्ज है।

दूसरा मामला कोतमा के ही जंगल विभाग से जुडा  है जिस भूमि पर जंगल विभाग का कार्यालय है वह भूमि स्व. गुल्लू बाई पुत्रा ध्यान सिंह बरगाही के नाम पर है और अब अविनाश दीवान पिता स्व० सुरेश दीवान के नाम खसरा न० ६५०/२ रकवा १०७८ में लगभग ९० डिसमिल भूमि पर वन विभाग चौंकी का कब्जा है। वहीं इस भूमि के मालिक का कहना है कि  जिस भूमि पर वन विभाग की चौकी है वह हमारी  पुस्तैनी जमीन है और हमें यह भूमि वापस चाहिये अथवा विभाग हमें इसका आज के हिसाब से मुआवजा दे। भूमि मालिक ने का कहना है कि सन् १९९६ में तहसील न्यायालय से आदेश हुआ था कि इनको बतौर मुआवजा ११ लाख ७४ हजार ५०० रूपया दिया जाये, परंतु वन विभाग ने इसे अनदेखी करते हुये भूमि मालिक को फूटी कौडी नहीं दी। आज भी अतिक्रमण कर अपना कार्यालय चला रहे हैं।  वही पिडित परिवार ने अब कडा रूख अपनाते हुये प्रशासन से मांग की है कि अगर एक माह के भीतर इस समस्या का समाधान नहीं किया गया तो  पूरा परिवार आमरण अनसन पर बैठेगा। जिसकी संपूर्ण जिम्मेदारी प्रशासन की होगी।

इन्होंने कहा
कोतमा एस.डी.ओ.पी. कार्यालय को बने कई वर्ष हो गये। भूमि स्वामी ने यह मामला अब उठाया है। अब तक इसे क्यों नहीं बताया और क्या इनके पास ऐसा कोई लिखित है कि इन्हें मुआवजा देने की बात कही गई थी, फिर भी हम जांच कर परीक्षण करा लेते हैं और अब तक मुआवजा क्यों नहीं मिला ।
तिलक सिंह
पुलिस अधीक्षक अनूपपुर

हम भूमि स्वामी के पक्ष में हैं इस मामले की जांच कराई जा रही है, परंतु कुछ कागजात की कमी है जिसे मंगाये जा रहे हैं। जैसे ही पूरी कार्यवाही होगी वैसे भूमि स्वामी को फायदा मिलेगा।
डी.एस.कनेश
वन मण्डलाधिकारी अनूपपुर

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