देवेन्द्र अहिरवार/ मध्यप्रदेश में अध्यापक संयुक्त मोर्चा के नेतृत्व द्वारा लिए गए गलत फैसलों एवं रणनीति का खामियाज़ा प्रदेश के सभी अध्यापको को भुगतना पड़ रहा है। गौरतलब है की अध्यापक आन्दोलन के पूर्व माननीय मुख्यमंत्री द्वारा दोनों संघो के नेताओ से वार्ता में कहा गया था की अध्यापक आन्दोलन न करें उनकी मांगो के सम्बन्ध में प्रशासनात्मक तैयारियां की जा रही है।
परन्तु एक संघ द्वारा आन्दोलन शुरू कर दिया गया जो आगे चलकर अपने लक्ष्य से भटक कर मुख्यमंत्री एवं सरकार विरोधी बन गया जिसमे नेतृत्व द्वारा मुख्यमंत्री के खिलाफ आपत्तिजनक शब्दों का उप्यॊग भी किया गया।
जिसका दुष्परिणाम सबके सामने आया और मुख्यमंत्री महोदय ने एक बार भी संयुक्त मोर्चा के नेतृत्व से बातचीत नहीं की। नेतृत्व की घटती विश्वसनीयता एवं विरोध के कारण नेतृत्व को खाली हाँथ आन्दोलन समाप्ति की घोसना करनी पड़ी। नेतृत्व की गलत रणनीतियों के कारण जो हानि हुई है उसके बाद अध्यापक क्या संयुक्त मोर्चा के नेतृत्व पर द्वारा विश्वास करेगा?
आज प्रदेश के लाखो अध्यापक संविदा शिक्षक अपने नेतृत्व के साथ माननीय मुख्यमंत्री महोदय की ओर आशा और विश्वास की नजरो से देख रहे है। अब ये मुख्यमंत्री महोदय को तय करना है कि कब वो आशा और विश्वास पर हक़ीकत की मुहर लगते है।
द्वारा-देवेन्द्र अहिरवार