जबलपुर। हाईकोर्ट ने प्रदेश सरकार से कहा है कि 28 अप्रैल को भोपाल में आयोजित मजदूर महापंचायत में मजदूरों के कल्याण को लेकर बने बोर्ड का पैसा खर्च नहीं किया जाए।
इस महापंचायत को राजनीतिक स्टंट बताने वाली जनहित याचिका पर एक्टिंग चीफ जस्टिस केके लाहोटी और जस्टिस एमए सिद्दिकी की युगलपीठ ने राज्य सरकार व अन्य को नोटिस जारी कर यह अंतरिम व्यवस्था दी। मामले की अगली सुनवाई 3 मई को होगी।
यह जनहित याचिका भवन एवं अन्य निर्माण मजदूर एकता फेडरेशन भोपाल और भवन एवं अन्य निर्माण मजदूर एकता यूनियन जबलपुर के महासचिव गिन्नीलाल पटेल की ओर से दायर की गई है।
हाईकोर्ट का निर्णय सरकार के गाल पर तमाचा: अजय सिंह
भोपाल। नेता प्रतिपक्ष श्री अजय सिंह ने मजदूर पंचायत के नाम पर मजदूरों के कल्याण के लिए म.प्र. भवन एवं अन्य संनिर्माण कर्मकार कल्याण मंडल में उपलब्ध निधि में से साढ़े तीन करोड़ रूपये खर्च करने पर हाईकोर्ट द्वारा रोक लगाए जाने पर कहा कि यह शिवराज सरकार पर करारा तमाचा है।
उन्होंने कहा कि शिवराज सरकार ने पंचायतों पर पिछले दस वर्षों में तीन अरब रूपये से अधिक राशि खर्च की है जो शुद्ध जनता का पैसा था और वह उसके हित में खर्च होना था। श्री सिंह ने मुख्यमंत्री से कहा कि पिछली सभी 34 पंचायतों में की गई घोषणाओं उस पर हुए अमल और लाभान्वितों के साथ ही पंचायतों पर खर्च की गई राशि पर तत्काल भाजपा सरकार श्वेत पत्र जारी करें।
नेता प्रतिपक्ष श्री अजय सिंह ने कहा कि हाईकोर्ट द्वारा संनिर्माण कर्मकार मंडल में मजदूरों के बच्चों की शादी, बीमारी तथा पेंशन देने के लिए जमा निधि में से साढ़े तीन करोड़ 28 अप्रैल को आयोजित मजदूर पंचायत के आयोजन पर खर्च करने पर रोक लगाने को भाजपा सरकार के लिए शर्मनाक है।
उन्होंने कहा कि इससे सरकार की पोल खुल गई है कि उसने अब तक आयोजित पंचायतों में किस तरह योजनाओं का पैसा अपने प्रचार-प्रसार और मुख्यमंत्री का चेहरा चमकाने के लिए किया है। श्री सिंह ने कहा कि सरकार मजदूरों के कल्याण के लिए जो राशि मजदूर पंचायत के आयोजन पर खर्च करने वाली थी वह वास्तव में विभिन्न योजनाओं के तहत मजदूरों के पेंशन, उनके बच्चों की शादी तथा बीमारी में खर्च करने के लिए सुरक्षित है। श्री सिंह ने कहा कि इस निधि से साढ़े तीन करोड़ रूपये खर्च करने का निर्णय म.प्र. भवन एवं अन्य संनिर्माण कर्मकार कल्याण मंडल की 04 अप्रैल को मंडल की 28 वीं बैठक में लिया गया।
श्री सिंह ने कहा कि इसके पूर्व 25 मार्च 2013 को मंडल को जो बैठक हुई थी उसमें सदस्यों ने इसका विरोध किया जिससे यह निर्णय नहीं हो सका है। मंडल ने सरकार के दबाव में 04 अप्रैल को अचानक बैठक बुलाकर साढ़े तीन करोड़ मजदूरों की पंचायत के आयोजन पर खर्च करने को दे दिया। इस बैठक में वे सदस्य उपस्थित होने में असमर्थ थे जिन्होंने इसका विरोध किया था। इस निर्णय के खिलाफ जबलपुर हाईकोर्ट में लगाई गई जनहित याचिका पर कोर्ट ने राशि के खर्च पर रोक लगा दी।
नेता प्रतिपक्ष श्री सिंह ने कहा कि इससे स्पष्ट है कि सरकार किस तरह काम कर रही है। मजदूरों के हित के लिए गठित संस्थाएं मजदूरों के विरोध में ही काम कर रही है यह इसका प्रमाण है। श्री ंिसंह ने कहा कि यहीं नहीं मजदूर पंचायत के लिए किसानों का साढ़े छः करोड़ रूपये मंडी बोर्ड से लिया गया है। नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि अपने कार्यकाल के अंतिम समय में यह सरकार निर्लज्ज, निर्भय और निर्दय हो गई है। इसे न किसानों की चिंता है और न ही मजदूरों की यह उनका पैसा भी लुटाने में शर्म महसूस नहीं कर रही है।
श्री सिंह ने कहा कि पिछली 34 पंचायतों में भी सरकार ने विभिन्न वर्गों के हित में बनी योजनाओं की राशि पंचायत के आयोजन पर लुटाई है जो लगभग साढ़े तीन अरब है। इससे किसी वर्ग का कोई भला नहीं हुआ सिवाय मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चैहान के झूठे प्रचार-प्रसार के। श्री सिंह ने मांग की कि मुख्यमंत्री अब तक हुई 34 पंचायतों में हुई घोषणाएं उन पर हुए अमल और लाभान्वितों के साथ पंचायतों के अयोजन पर हुए खर्च पर एक श्वेत पत्र जारी करे।