राकेश दुबे@प्रतिदिन। दिल्ली शर्मसार है। सारे नारीवादी संगठनो की इस चिंता से पूरा सरोकार रखते हुए, यहाँ यह तथ्य भी रेखांकित करना भी जरूरी है कि दिल्ली में सबसे शक्तिशाली कौन है ? इण्डिया टुडे के अनुसार दिल्ली ही नहीं देश की सबसे "पावरफुल" महिला का निवास दिल्ली में है।
इण्डिया टुडे की इस बात से सहमत होने वाला देश का एक बड़ा तबका है। जी! सोनिया जी की ही बात कर रहा हूँ। भारतीय लोकसभा भी दिल्ली में ही है और उसकी आसंदी पर श्रीमती मीराकुमार विराजमान है। दिल्ली दिलवालों की नारा देने वाली श्रीमती शीला दीक्षित वहां की मुख्यमंत्री है। देश के प्रतिपक्ष की दमदार नेता सुषमा स्वराज भी दिल्ली में ही रहती हैं। वृंदा करात भी अक्सर वहीँ रहती हैं। राष्ट्रीय महिला आयोग भी वहीं है और सुश्री ममता शर्मा इस आयोग की अध्यक्ष हैं।
फिर भी दिल्ली में ऐसा हो रहा है जो भारतीय इतिहास में कलंक कहा जायेगा।
छोटी सी बच्ची के साथ दुष्कर्म होता है, उसके पिता को पुलिस चुप रहने के लिए पैसे देती है। विरोध में आवाज़ उठाने वाली बेटियों को पुलिस के थप्पड़ खाने पड़ते हैं। शिकायत करने महिला आयोग जाने पर अगले दिन आने की पेशी दे दी जाती है। ममता शर्मा जी ने कह दिया की आज छुट्टी है। कल आइये।
क्या हो रहा है, यह सबको मालूम है पर क्यों हो रहा है ? इसे समझने औरों को समझाने का काम तो इन शक्तिशाली महिलाओं के जिम्मे ही है। सडक से लेकर संसद तक भागीदारी की मांग करने के साथ कुछ कर्तव्य की भागीदारी भी जरूरी है। सबसे नहीं कम से कम ममता जी से ममता दिखाने की अपेक्षा तो सबको ही थी और रहेगी।
अफ़सोस ममता जी ने ममता नहीं दिखाई । यहाँ प्रश्न और भी हैं। समाज में आ रही इस विकृति की जद में जो नव विज्ञान तकनीक हैं उन पर भी कोई नियंत्रण करेगा ? बिना वैज्ञानिक अद्ध्यन के कानून बना देने के परिणाम स्वरूप यह सब होता दिखता है। समाज में वैमनस्य फैलाकर अधिकार मांगने की अपेक्षा बेचारगी छोड़े।