राकेश दुबे@प्रतिदिन। लगभग यह साफ हो गया है कि कानून मंत्री ने कोयला घोटाले की फ़ाइल में वो सुधार किये है, जिनसे सरकार, सीबीआई, और खुद मनमोहन सिंह जी की विश्वसनीयता पर प्रश्नचिन्ह लग गया है|
उच्चतम न्यायालय द्वारा सीबीआई से माँगा गया पृथक शपथ पत्र के प्रस्तुत होने के साथ वो एस एम एस भी सामने आयेंगे जो इस कोयला घोटाले को सफाई के लिए कानून मंत्री ने भेजे थे| अब सीबीआई के निदेशक विदेश भेज दिए गये हैं| शपथ पत्र भी अब उसी कानून मंत्रालय की राय से तैयार होने जा रहे है, जो वैसे ही संदेह के घेरे में है|
सी बी आई की स्थिति कैसी है ? यह किसी से छिपी नहीं है| बकौल पूर्व सीबीआई निदेशक जोगेंद्र सिंह, सीबीआई की स्थिति दिल्ली सरकार के किसी अन्य विभाग से ज्यादा कमजोर है| आधे से ज्यादा अधिकारी यहाँ-वहां से आते हैं और उनकी निष्ठा अपने मूल विभाग के साथ बनी होती है| इस मामले में भी यही हुआ, कानून मंत्री ने अपने लोगों से जो कुछ सुना| वह सार्वजनिक हो गया, नतीजा शपथपत्र तक आ पहुंचा|
मनमोहन जी की चुप रहने की आदत है| अभी कुछ नहीं बोलेंगे तो कब बोलेंगे ? इतिहास जी हाँ ! भारत के इतिहास में इनका उल्लेख किस उपमा के साथ होगा, एक प्रश्न चिन्ह है| पूर्व आई ए एस अधिकारी टी एस सुब्रमनियम के अनुसार यह दौर अर्थात मनमोहन सिंह जी का प्रधानमंत्रित्व काल घोटालों का काल और राजधर्म के लोप के लिया जाना जायेगा| “उच्चतम न्यायालय से बड़ी अदालत जनता की होती है” यह जुमला राजनीतिग्य उछाला करते हैं| मनमोहन जी का उससे भी कभी वास्ता नहीं पड़ा| सीधे चुनाव में जाना नहीं है फिर कौन क्या पूछेगा|