एक देश : कई फार्मूले और हम

राकेश दुबे@प्रतिदिन। नितीश बाबू अपने विकास के फार्मूले को बेहतर बताते हैं, नरेंद्र भाई अपने विकास फार्मूले को, रमन सिंह की अपनी विकास परिकल्पना है, तो शिवराज सिंह की विकास धारणा अलग है|

सत्ता पर काबिज ममता ओर जयललिता की अवधारणा अलग हैं तो सत्ता से बाहर मायावती और वामपंथ की विकास परिकल्पनाएं अलग है| सच तो यह है कि इनमें कोई भी अपने राज्य और अपने सोच के दायरे से बाहर आकर देश के बारे में नहीं सोच रहा है| वैश्विक चुनौतियाँ भारत के सामने निरंतर कड़ी होती जा रही है, अगर हम इसी “टोपी” और “तिलक” की राजनीति में उलझे रहे तो 2014 में आप और हम फिर एक  निरीह सरकार चुनेंगे|

आज देश के सामने फिर वही सवाल खड़ा हो गया है कि उसे कौन चलायेगा  और कैसे ? 2014 के चुनाव के पहले ही यूपीए और एनडीए के घटक चाहते है की यह तय हो जाये कि वे किसके नाम के सहारे चुनाव लड़े और जीते| कांग्रेस के साथ यूपीए में शामिल एनसीपी और एनडीए में शामिल जेडीयू खुलकर अपने बड़े घटक से प्रधानमंत्री के उम्मीदवार का नाम घोषित करने की मांग कर रहे हैं| जिस तरह नरेंद्र मोदी एनडीए में सर्व स्वीकार नहीं है, वैसे ही राहुल गाँधी की स्थिति है| कांग्रेस में ही कुछ लोग राहुल गाँधी की उम्मीदवारी को पसंद नहीं कर रहे हैं, अन्य घटकों की बात छोड़ ही दीजिये|

मेरे और आप जैसे मतदाताओं के सामने यह संकट है कि हमारे पास कोई विकल्प नहीं है| गिरोह की तर्ज़ पर चलते ये राजनीतिक दल हमसे प्रजातंत्र और विकास के नाम पर वोट मांगते है और बाद में हर विकास घोटाले में नजर आता है| कई प्रयोग हम कर चुके अब प्रयोग की स्थिति नहीं है चुनाव जब भी हो, यह हमारा नागरिक अधिकार है कि हम कम से कम उसे चुनें जो “टोपी”और “तिलक” की अवसरवादी राजनीति न करे|


  • लेखक श्री राकेश दुबे वरिष्ठ पत्रकार एवं प्रख्यात स्तंभकार हैं। 
  • संपर्क  9425022703 
  • If you have any question, do a Google search

    #buttons=(Ok, Go it!) #days=(20)

    Our website uses cookies to enhance your experience. Check Now
    Ok, Go it!