RSS, VHP, BJP और भोजशाला विवाद

भारत के अधिकांश क्षेत्र में हिन्दु आबादी अधिक है। इन बहुसंख्यको के तथाकथित प्रतिनिधि होने का दावा आरएसएस (राष्ट्रीय स्वंय सेवक संघ) वीएचपी (विश्व हिन्दु परिषद) और बीजेपी (भारतीय जनता पार्टी ) के लोग दशकों से कर रहे है।

हिन्दु धर्म की अधिष्ठाता देवी मां सरस्वती जी है, मध्यप्रदेश के धार में स्थित भोजशाला में मां सरस्वती का एैतिहासिक मंदिर है, इसी स्थान पर मस्जिद भी है। नियमित रूप से वहां वर्षो से पूजा-नमाज एक साथ होते है। इसमें स्थानीय स्तर पर किसी को कोई दिक्कत भी नही है।

भोजशाला की समस्या पर आरएसएस, वीएचपी, बीजेपी ने विवाद की आग जलाई। राज्य में विकास, बेरोजगारी, महिला उत्पीड़न, कानून व्यवस्था से हटकर इस विषय में बहस छेडी, लोगो को भी लगा कि इस एैतिहासिक महत्व के मंदिर के लिये आरएसएस, वीएचपी और बीजेपी के पास कोई फार्मूला या कोई समाधान या कोई दूरदृष्टि होगी।

मध्यप्रदेश में बीजेपी की सरकार का दसवां वर्ष चल रहा है, भोजषाला में दसवीं बसंत पंचमी की पूजा हो चुकी है। किन्तु तनाव फैलाने वाले लोगो ने दस साल में कोई समाधान नही निकाला। लोग यहां तक कहते है कि आरएसएस, वीएचपी या  बीजेपी  के पास किसी भी समस्या का कोई समाधान नही है।

राजनैतिक दल/सामाजिक संगठन या धार्मिक-कटटपंथी संगठनों ने देष में अभिव्यक्ति की आजादी का दुरूपयोग शायद अधिक करने की कसम खा ली है, सामाजिक सरकारो के विरूद्ध सर्वधर्म समभाव के विरूद्ध समस्या पर बात करना इनकी आदत है, किसी समस्या का समाधान लेकर बात करना इनकी क्षमता में नही हैं।

देश के पढे-लिखे और पढ रहे वर्ग में हमने जब बात की तो उम्मीद के विपरीत शतप्रतिशत  लोगो का मानना था, कि देष के किसी भी जिम्मेदार व्यक्ति/संगठन को तभी एैसी समस्या उठाना चाहिये, जब उसके पास सर्वसम्मत समाधान हो या फिर निधि संगत समाधान की समयबद्ध योजना हो।

आजाद भारत ने राष्ट्र के विकास को बहुआयामी दिशा दी है, जिसके कारण दुनिया में हमें गम्भीरता से लिया जाता है, इसमें कांग्रेस सरकार और उनके नीति निर्धारको को पूरा श्रेय जाता है। कांग्रेस एक मात्र दल है जो पूरे राष्ट्र की बात करती है, सभी धर्मो की बात करती है, पूरे आवाम की बात करती है, देश को दुनिया में पहचान दिलाने का काम बेखौफ तरीके से करती है।

देश का गरीब और शिक्षित वर्ग कभी भी वर्ग भेद, जाति भेद, लिंग भेद, क्षेत्रियता धर्मभेद की बात नही करता, क्योंकि वह जानता है कि इससे सुरक्षा, कानून व्यवस्था और विकास की रफ्तार को झटका लगता है।

भोजशाला में मूर्ति नही है, उसे लाने या भव्य मंदिर-मस्जिद निर्माण की कोई योजना, कोई दृष्टि बीजेपी/आरएसएस या वीएचपी के पास नही है। हमें यह जानकार आश्चर्य होगा कि वीएचपी के पास मंदिर निर्माण के नाम पर हजारों करोड़ की नगद राशि खातों में है, किन्तु उसने देश के अनेक पैराणिक महत्व के बिना विवाद के जो मंदिर है, जिनकी स्थिति दयनीय है उनके जीर्णोद्वार पर एक पैसा खर्च करना तो दूर खर्च करने के बारे में सोचा तक नही।

मोहन भागवत जी/सुदर्शन जी/रज्जू भैया/अशोक सिंघल जी/तोगडिया जी जैसे अनेकानेक स्वयंभू - तथाकथित हिन्दु नेता आरएसएस,बीएचपी, के चंदे के पैसे से जीवन के सुख-वैभव का आनंद ले रहे है। जब मर्जी अयोध्या में मंदिर की चिंता करते है, जब मर्जी भूल जाते है, जब मर्जी भोजषाला को हिन्दु अस्मिता से जोड़ देते है, जब मर्जी भूल जाते है। ऐसा नही कि इनके पास साधन नही है, पर इनके पास कोई दृष्टि नही है, इनके पास समाधान नही है, इनके पास नीति नही है, इनके पास नीयत भी नही है, ये देश का विकास नही चाहते है।

ये वो दोहरे चरित्र और हिन्दू विनाशी लोग है, जिनके पास पूरा कम्प्यूटराइज्ड सिस्टम है पर ये कम्प्यूटर का विरोध करते है। इनमें से अधिकांश के बच्चे इंग्लिश मीडियम और विदेश में पढ चुके, या पढ रहे या पढने वाले है, किन्तु ये हिन्दी मीडियम स्कूल/विश्वविद्यालय की बात कर अपने अंधे अनुयायियों की पीढि़यों को भी अंध भक्ति की गुलामी में रखना चाहते है।

ये पाकिस्तान/बंगला देश/श्रीलंका के हिन्दु परिवारो के लिये स्कूल/हास्पिटल/बैंक चला सकते है पर ये किसी परिवार को ताकत नही देते है, ये खुद पुलिस संरक्षण में जिंदगी जीते है, पर बात एैसी भावना की करेगे, जैसे इनसे बडा विचारक इनसे बडा चरित्रवान, इनसे बडा देश भक्त कोई है ही नही।

दस साल से मध्यप्रदेश में सरकार चला रहे है, चाहते तो खुद के पास रखे चंदे के पैसे से धार में भव्य विशाल-एैतिहासिक मां सरस्वती का मंदिर बनवाकर मस्जिद बनाने के लिये समझौता कर देश के लोगो को समस्या से निजात दे देते पर नही समस्या बनाकर रखना और उस समस्या को दिखाकर लोगो में डर पैदा करते रहना, लोगो के बीच दरार डालकर रखना और भावनायें भडकाकर चंदा मांगना जिनका एक मात्र लक्ष्य हो उन्हे देश, धर्म, समुदाय विकास, और भविष्य की सुरक्षा, कानून के राज्य से क्या लेना देना।

ये तो कभी स्वार्थ में अंधे होकर, गुजराती होने को तैयार है, कभी सत्ता सुख के लिय महाराष्ट्रीयन होने को आतुर है, कभी स्वार्थ की लोलुपता के लिये झारखंड/यूपी में 50:50 पर सरकार चलवाते है, पर ये सभी दृष्टीहीन लोगो का समूह कभी अटलबिहारी बाजपेई/आडवानी जी/सुषमा स्वराज जी के क्षेत्र में विकास का माडल बनाने का बयान नही देते।

स्वदेशी जागरण मंच अटल बिहारी बाजपेई जी के कार्यकाल में एमएनसी के काउंटर की बुकिंग करवाकर प्रदर्शनी लगाने में इतनी मालामाल हो गई कि वह अभी निद्रा में है, म.प्र./गुजरात/छत्तीसगढ़ आदि आदि राज्यो को विदेशी निवेश लाने में वह कोई आन्दोलन तो दूर बयान तक नही दे रहे।

अन्ना हजारे-रामदेव को आन्दोलन के लिये आगे करते है किन्तु म.प्र/छत्तीसगढ़/गुजरात में लोकपाल का रोल माडल नही लागू करवाते। इससे कही कही दबे सुर में भाजपाई ही बोल देते है कि इन राज्यों के भ्रष्टाचार में शायद कोई भाग इन्हें भी जाता हो।

टिप्स:- हमें अपने आने वाली पीढ़ी के लिये विकसित देश तभी मिलेगा जब हम हर वर्ग/समुदाय/धर्म/क्षेत्र के लोगो की बात कर उन्हें विकास की धारा में जोडे़गे दकियानूसी लोगों की कथनी-करनी उनके निजी स्वार्थो की पूर्ति करती है। बांटने की भाषा-जोड़ने की भाषा के आगे बहुत कमजोर होती है।


यह लेख चित्रांश कॉलेज के चेयरमैन श्री अश्विनी श्रीवास्तव के ब्लॉग से लिया एवं सधन्यवाद प्रकाशित। उनके ब्लॉग पर जाने के लिए कृपया यहां क्लिक करें। 
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