भोपाल। जल संसाधन विभाग के उन इंजीनियरों की सीआर में निगेटिव कमेंट लिखे जाएंगे, जिनके कार्यकाल में सिंचाई परियोजनाएं समय पर पूरी नहीं हो पार्इं। राज्य शासन ने इसके लिए दिसंबर 2011 की स्थिति को आधार बनाया है। इससे पूर्व की स्वीकृत परियोजनाओं की हाल ही में शासन स्तर पर समीक्षा की गई थी।
सूत्रों के अनुसार पांच फरवरी को दिसंबर 2011 से पूर्व में स्वीकृत परियोजनाओं की समीक्षा के दौरान अधीक्षण यंत्रियों से 31 मार्च 2013 की स्थिति में अधूरी रहने वाली सिंचाई योजनाओं की जानकारी मांगी गई थी। अधीक्षण यंत्रियों ने अधूरी रहने वाली योजनाओं की संख्या बताई थी, जिसकी पुष्टि विभाग ने परियोजनाओं के नाम से करने के निर्देश दिए थे।
अधीक्षण यंत्रियों द्वारा बताई 298 और योजनाओं के नाम से 246 परियोजनाएं चिह्नित की गर्इं, जो आगामी 31 मार्च तक पूरी नहीं हो पाएंगी। इनमें भोपाल सर्किल में 53 गुना सर्किल में 20, रीवा में 7, शहडोल में 30, इंदौर में 7, धार में 9, खरगौन में 16, उज्जैन में 10, ग्वालियर में 2, जबलपुर सर्कल में 30, बालाघाट में 7, सिवनी में 9, छिंदवाड़ा में 17, सागर में 10, छतरपुर में 48, होशंगाबाद में 21 तथा राजघाट केनाल सर्किल दतिया में 2 परियोजनाएं शामिल हैं। विभाग ने सभी मुख्य अभियंताओं को निर्देश जारी किए हैं कि दिसंबर 2011 से पूर्व की स्वीकृत इन परियोजनाओं के अतिरिक्त यदि कोई भी सिंचाई परियोजना 31 मार्च 2013 की स्थिति में अधूरी रहती हैं, तो संबंधित अधीक्षण यंत्री एवं
कार्यपालन यंत्री के गोपनीय प्रतिवेदन में अनिवार्य रूप से नियोजन क्षमता का अभाव रिमार्क दर्ज किया जाए। एक अन्य आदेश में विभाग ने आगामी पांच वर्षों में अमले में कमी की योजना के तहत सभी मुख्य अभियंताओं को निर्देश जारी किए हैं। अमले में कमी के संबंध में मार्च 2003 में जारी निर्देशों के बाद स्वीकृत पद संख्या को अपडेट करने के लिए कहा गया है, साथ ही स्वीकृति से अधिक कार्यरत अधिकारी- कर्मचारियों की जानकारी मांगते हुए इनके पद समाप्त नहीं करने के कारण पूछे गए हैं। निर्देशों में कहा गया है जो पद संख्या से अधिक है उन पर नियुक्ति और पदोन्नति न की जाए।